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केदारनाथ धाम का इतिहास,रहस्य तथा अनोखी घटनाएं

केदारनाथ मंदिर का इतिहास 

भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में सबसे बड़ा ज्योतिर्लिंग केदारनाथ मंदिर है। यह मंदिर केदार की पहाड़ियों में स्थित है। इसीलिए इस मंदिर का नाम केदारनाथ रखा गया है।

माना जाता है कि भगवान शिव इन्ही पहाड़ियों में रहते है।  इस मंदिर की बनावट बहुत ही आकर्षक है। यहां पर देवी देवताओं ने तपस्या की थी। उन्ही की तपस्या से मंदिर में भगवान शिव का वास हुआ।

केदारनाथ मंदिर से जुड़े अनेकों रहस्यों से संबंधित कई कथा तथा घटनाएं जुड़ी हुई है। आईए दोस्त जानते है केदारनाथ मंदिर के रहस्यों को।

केदारनाथ मंदिर कहाँ स्थित है:-

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यह मंदिर उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले की केदार नामक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। यह मंदिर साल में 6 महीने बंद रहता है। इस मंदिर में जाने के लिए पहाड़ियों वाला मार्ग काफी कठिन तथा विकट है।

केदारनाथ का मंदिर अधिक प्रसिद्ध तथा अति प्राचीन है। कहा जाता है भारत देश की चारो दिशाओं में चार धाम स्थापित करने के बाद जगतगुरु शंकराचार्य ने 32 वर्ष की उम्र में केदारनाथ धाम में समाधि ली थी। उन्ही ने मंदिर का निर्माण करवाया था।

मंदिर के पीछे जगतगुरु शंकराचार्य की समाधि स्थल बना हुआ है। यहां एक झील ऐसी है जिस पर बर्फ तेरती रहती है। पौराणिक कथा के अनुसार कहा गया है कि इसी झील से युधिष्ठिर स्वर्ग गए थे। केदारनाथ मंदिर से 6 किलोमीटर दूर एक ताल है जिसका नाम वासुकी ताल है।

इस ताल में ब्रह्म कमल काफी होते है तथा ताल का पानी अधिक ठंडा होता है। यहां गौरीकुंड, सोनप्रयाग, त्रियुगीनारायण, गुप्तकाशी, ऊखीमठ, पंचकेदार आदि दर्शन करने के स्थल है।

केदारनाथ मंदिर की यात्रा कैसे करे?

केदारनाथ मंदिर जाने के लिए रेल द्वारा कोटद्वार या ऋषिकेश से जा सकते है। सड़क मार्ग द्वारा गौरीकुंड तक जा सकते है जो की केदारनाथ मंदिर से 15 किलोमीटर दूर है।

गौरीकुंड से पैदल मार्ग या खच्चर तथा पालकी से भी जा सकते है। हाल ही में कुछ समय पहले केदारनाथ के लिए हवाई सेवा भी शुरू हुई। जो केदारनाथ से करीब 250किलोमीटर दूर है।

हवाई अड्डे का नाम जौली ग्रांट है। इस तरह हम केदार नाथ मंदिर रेल, सड़क तथा हवाई मार्ग से जा सकते है।

मंदिर के कपाट खुलने का समय

दिवाली महापर्व के दूसरे दिन शीत ऋतु में मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते है। वहा के पुरोहित ससम्मान मंदिर के कपाट बंद करके भगवान के विग्रह तथा दंडी को पहाड़ के नीचे ऊखीमठ ले जाते है।

सबसे बड़ी हैरान करने वाली यह बात है कि जब मंदिर के कपाट बंद करते है तब एक दीपक जलता हुआ रखा जाता है तथा जब 6 माह बाद मंदिर के कपाट को खोला जाता है तब वो दीपक जलता हुआ ही मिलता है तथा मंदिर एक दम साफ़ सुथरा होता है। यह रहस्य हैरान कर देने वाला है।

6माह बाद मई माह में मंदिर के कपाट दर्शन के लिए खोल दिए जाते है। जब मंदिर बंद होता है तब उनके आसपास कोई नही रहता है। और ना ही कोई कपाट खोल सकता है।

आईए दोस्तो जानते है केदारनाथ मंदिर के 6 रहस्य तथा उनसे जुड़ी कथाओं को-

 1. छः माह तक बंद मंदिर में दीपक जलता रहता है 

दीपावली महापर्व के दूसरे दिन शीत ऋतु में मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते है। लेकिन हैरान करने वाली यह बात है कि 6 माह तक मंदिर के अंदर दीपक जलता रहता है। मंदिर के पुरोहित ससम्मान पट बंद कर भगवान के विग्रह एवं दंडी को 6 माह तक पहाड़ के नीचे ऊखीमठ में ले जाते हैं।

6 माह बाद मई माह में केदारनाथ के कपाट खुलते हैं, तब उत्तराखंड की यात्रा आरंभ होती है। 6 माह मंदिर और उसके आसपास कोई नहीं रहता है। लेकिन आश्चर्य की बा‍त कि 6 माह तक दीपक भी जलता रहता और निरंतर पूजा भी होती रहती है। कपाट खुलने के बाद यह भी आश्चर्य का विषय है कि वैसी की वैसी ही साफ-सफाई मिलती है, जैसी कि छोड़कर गए थे।

2. प्रकृति का कहर भी कुछ बिगड़ नही पाया मंदिर का

16जून 2013 की केदारनाथ घटना

16 जून 2013 की रात प्रकृति ने कहर बरपाया था। प्रकृति के इस कहर से उत्तराखंड में चारो तरफ जल ही जल हो गया था। जलप्रलय से कई बड़ी-बड़ी और मजबूत इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढहकर पानी में बह गईं, लेकिन केदारनाथ के मंदिर का कुछ नहीं बिगड़ा।

आश्चर्य तो तब हुआ, जब पीछे पहाड़ी से पानी के बहाव में लुढ़कती हुई विशालकाय चट्टान आई और अचानक वह मंदिर के पीछे ही रुक गई! उस चट्टान के रुकने से बाढ़ का जल 2 भागों में विभक्त हो गया और मंदिर कहीं ज्यादा सुरक्षित हो गया।

इस प्रलय में लगभग 10 हजार लोगों की मौत हो गई थी। इसे जलप्रलय में भी मंदिर का कुछ नही बिगड़ा जबकि आसपास का सब उजड़ गया। लेकिन प्रकृति के ऐसे कहर बरपाने के बाद भी भक्तो की भक्ति में कोई कमी नही आई और हर साल बाबा के दर्शन करने जाने वाले की संख्या बढ़ती रहती है।

3. लुप्त हो जाएगा मंदिर

पुराणों मे भविष्यवाणी की गई है की केदारनाथ धाम के सभी तीर्थ विलुप्त हो जाएंगे। पुराणों में कहा गया है कि जिस दिन नर और नारायण पर्वत एक हो जाएंगे तथा बद्रीनाथ का रास्ता बंद हो जाएगा और भक्त बद्रीनाथ के दर्शन नहीं कर पाएंगे।

तब यहां के सभी दार्शनिक स्थल विलुप्त हो जाएंगे तथा वर्षो बाद “भविष्यबद्री”नामक नए तीर्थ का उद्गम होगा। नर और नारायण पर्वत बद्रीनाथ के दोनो तरफ स्थित है। पुराणों में माना गया है कि केदारनाथ के दर्शन करके बद्रीनाथ के दर्शन करने मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते है।

 4. 400 साल तक बर्फ के नीचे दबा रहा मंदिर

काफी अधिक समय पहले प्रकृति के कहर से केदारनाथ मंदिर के ऊपर 400 साल तक बर्फ जमीं रही थी। 400 साल बाद जब बर्फ पिघली तब मंदिर बाहर आया। इतने साल बर्फ में दबे रहने से भी मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ जैसा था वैसा सुरक्षित निकला।

देहरादून के वाडिया इंस्टीट्यूट के हिमालयन जियोलॉजिकल वैज्ञानिक विजय जोशी के अनुसार 13वीं से 17वीं शताब्दी तक यानी 400 साल तक एक छोटा हिमयुग आया था जिसमें हिमालय का एक बड़ा क्षेत्र बर्फ के अंदर दब गया था। उसमें यह मंदिर क्षेत्र भी था। वैज्ञानिकों के अनुसार मंदिर की दीवार और पत्थरों पर आज भी इसके निशान देखे जा सकते हैं।

दरअसल, केदारनाथ का यह इलाका चोराबरी ग्लैशियर का एक हिस्सा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लैशियरों के लगातार पिघलते रहने और चट्टानों के खिसकते रहने से आगे भी इस तरह का जलप्रलय या अन्य प्राकृतिक आपदाएं जारी रहेंगी।

5. मंदिर का निर्माण 

यह मंदिर कटवां पत्थरों के भूरे रंग के विशाल और मजबूत शिलाखंडों को जोड़कर बनाया गया है। 6 फुट ऊंचे चबूतरे पर खड़े 85 फुट ऊंचे, 187 फुट लंबे और 80 फुट चौड़े मंदिर की दीवारें 12 फुट मोटी हैं।

यह आश्चर्य ही है कि इतने भारी पत्थरों को इतनी ऊंचाई पर लाकर व तराशकर कैसे मंदिर की शक्ल दी गई होगी? खासकर यह विशालकाय छत कैसे खंभों पर रखी गई? पत्थरों को एक-दूसरे में जोड़ने के लिए इंटरलॉकिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।

6. आधा हिस्सा नेपाल में

माना जाता है कि केदारनाथ में अर्धशिवलिंग है जिसको नेपाल के पशुपतिनाथ के मंदिर के शिवलिंग को जोड़कर पूरा किया जा सकता है। मतलब शिवलिंग का आधा हिस्सा केदारनाथ में तथा आधा हिस्सा पशुपतिनाथ मंदिर में है।

  केदारनाथ धाम का मंदिर बहुत ही आकर्षक तथा रहस्यों से भरा हुआ है। यह मंदिर हिंदुओ का पवित्र स्थल माना जाता है। हर साल लाखो की संख्या में हिंदू यहां दर्शन के लिए आते है।

यह मंदिर साल में 6 महीने ही खुला रहता है। बाकी के 6 माह यहां बर्फ गिरती है इसलिए यह मंदिर बंद रहता है। जब उत्तराखंड की यात्रा शुरू होती है तब सुरक्षा के बंदोबस्त भी जबरदस्त होते है। यह मंदिर हर हिंदू के दिल में जगह बनाएं हुए है।

केदारनाथ के आसपास के प्रसिद्ध 6धार्मिक पर्यटक स्थल 

उतराखंड मे जितना खूबसूरत केदारनाथ मंदिर है उतने ही सुंदर आसपास के अन्य धार्मिक स्थल है। अगर आप केदारनाथ धाम जाओ तो हमारे बताए हुए इन धार्मिक स्थलो पर भी जरूर घूमने के लिए जाना। वहाँ की सुंदरता काफी अधिक है। आइए जानते है केदारनाथ धाम के आसपास के धार्मिक पर्यटक स्थल के बारे मे।

1.तुंगनाथ शिव मंदिरb7fa29e51dad487d9788a27a5fd6b2e7
केदारधाम में स्थित पांच केदार में से तीसरा कदर तुंगनाथ मंदिर है। इस मंदिर को विश्व का सबसे ऊँचा शिव मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर की सुमन्द्र तट से ऊंचाई 12,073 फीट है।

यह मंदिर केदारनाथ धाम में के पास के चोपता नमक गांव में स्थित है। यह मंदिर तुंगनाथ पहाड़ी पर स्थित होने के कारण तुंगनाथ शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है। चोपता से 3 से 4 घंटे में तुंगनाथ मंदिर तक पहुँचा जा सकता है।

2.वासुकी ताल झील 

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वासुकी ताल झील केदारनाथ से मात्र 8km की दूरी पर स्थित है। केदारनाथ से आप ट्रैकिंग करते हुए इस शांत झील तक पहुच सकते है। हिमालय पर्वतमाला तथा झील का शांत प्राकृतिक वातावरण पर्यटको को यहाँ आने के लिए मजबूर कर देता है।

इस झील से पर्यटक चौखम्बा चोटियों के राजसी दृश्य को भी निहार सकते है। पोराणिक कथा मे बताया गया है कि रक्षाबंधन के दिन भगवान विष्णु ने इस झील मे स्नान किया था इसीलिए इस झील का वासुकी ताल रखा गया। 

3.सोनप्रयागsonprayag-7452625

केदारनाथ धाम से लगभग 20km दूर प्रकृति की सौन्दर्यता तथा बर्फ से ढकी चोटियों से घिरा स्थान सोनप्रयाग है, जहां मन्दाकिनी नदी बासुकी नदी से मिलती है।

सोनप्रयाग मे भगवान शिव तथा देवी पार्वती का विवाह भगवान विष्णु के मोजूदगी मे हुआ था। पर्यटक यहाँ की नदी के जल को स्पर्श करने मात्र से बेकुंठ धाम प्रपट कर सकते है। भक्तो को यहाँ जरूर जाना चाहिए।

4.त्रियुगी नारायण मंदिरArtboard-1

यह मंदिर त्रियुगी नारायण गाँव मे स्थित है। इस जगह पर भगवान शिव तथा देवी पार्वती का विवाह भगवान विष्णु के सामने हुआ था। भगवान विष्णु के सम्मान मे इस मंदिर का निर्माण करवाया गया।

ऐसा बताया जाता है कि यहाँ पर भगवान शिव तथा माता पार्वती के विवाह मे ब्रह्म जी ने पुजारी की भूमिका निभाई थी। यह मंदिर काफी मनोरम है तथा यह मंदिर सोनप्रयाग से 12km की दूरी पर स्थित है।

5.भैरव नाथ मंदिरmaxresdefault

केदारनाथ मंदिर से लगभग 800मीटर की दूरी पर दक्षिण मे भैरवनाथ मंदिर स्थित है।यह मंदिर भगवान भैरव को समर्पित है। यह मंदिर पहाड़ी की ऊपरी चोटी पर स्थित है इसीलिए यहाँ से आप केदारनाथ घाटी तथा आसपास के हिमालय के मनोरम दृश्य को देख सकते है। भगवान भैरव को क्षेत्र के संरक्षक रूप मे मानते है।

6.रुद्र गुफाModi-cave-news 

केदारनाथ से लगभग 1km की दूरी पर रुद्र गुफा स्थित है। यह गुफा मेडिटेशन गुफा के नाम से जानी जाती है। हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 2019 चुनाव से पहले इस गुफा मे ध्यान किया था।

तब से यह गुफा काफी लोकप्रिय हो गयी। इस गुफा मे एक व्यक्ति के रहने की व्यवस्था है। इस गुफा के आगे से आप केदारनाथ धाम तथा भैरवनाथ मंदिर को देख सकते है

आइए जानते है केदारनाथ मंदिर के बारे मे रोचक बाते

1. क्या केदारनाथ मे स्वर्ग से हवा आती है?

केदारनाथ मंदिर को हम दिव्य तीर्थस्थल मानते है। धार्मिक मान्यताओ के अनुसार केदारनाथ मे भगवान शिव ध्यान मे लगे रहते है। भगवान शिव के ध्यान से यहाँ की हवा पवित्र हो जाती है जो स्वर्ग से आने वाली हवा की अनुभूति देती है।

2. केदारनाथ मंदिर की समुन्द्र तल से ऊंचाई कितनी है?

यह मंदिर समुद्र तल से 3584 मीटर ऊंचाई पर स्थित है।

3. केदारनाथ मंदिर के लिए पैदल चढ़ाई कितनी है?

केदारनाथ मंदिर तक पहुँचने के लिए 16km की कठिन पैदल यात्रा करनी पड़ती है। 

4. केदारनाथ मंदिर जाने का सही समय क्या रहता है?

अगर आप केदारनाथ धाम जाना चाहते है तो मई जून मे वहाँ की यात्रा करनी चाहिए। इस समय मौसम बिलकुल यात्रा के लिए सही रहता है।

5. केदारनाथ से बद्रीनाथ की कितनी दूरी है?

केदारनाथ से बद्रीनाथ की दूरी लगभग 245km है।

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