जाने क्या है तनोट माता मंदिर का इतिहास और रहस्य?
बम वाली देवी माता तनोट राय
दोस्तो आज हम आपको एक ऐसी देवी के मंदिर के बारे में बताने जा रहे है जिसको लोग “बम वाली” देवी के नाम से जानते है। यहाँ बहुत सारे जीवित बम पड़े हुए है जो 1965 में लड़े गए भारत पाकिस्तान युद्ध में पाकिस्तान द्वारा फेंके गए थे जो देवी माता के चमत्कार से एक भी नही फटा।
फेंके गए 3000 बम भी देवी मां के चमत्कार से बेअसर हो गए उसमे से एक भी बम नही फटा जिसको देखकर पाकिस्तानी ब्रिगेडियर शाहनवाज खान माता के मुरीद हो गए। उन्होंने माता के दर्शन के लिए भारत सरकार से स्वीकृति मांगी जो उन्हें ढाई साल बाद मिली। ढाई साल बाद पाकिस्तानी ब्रिगेडियर माता के सामने आकर माथा टेका।
तनोट माता मंदिर कहाँ स्थित है?
बम वाली देवी को तनोट माता के नाम से जानते है। तनोट माता का मंदिर राजस्थान के जैसलमेर जिले से करीब 130km दूर भारत पाकिस्तान बॉर्डर पर “तनोट” नमक गांव में स्थित है,इस मंदिर को “तनोट राय” कहते है। तनोट माता चारण जाति की थी। मामड़िया चारण की पुत्री देवी आवड़ को तनोट माता के रूप में पूजा जाता है।
साहित्य के अनुसार तनोट माता हिंगलाज माता की अवतार है जिनका प्रसिद्ध मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान में है। तनोट माता का मंदिर भाटी राजपूत नरेश तणुराव ने बनाया था। भाटी तथा जैसलमेर के आसपास के लोग तनोट माता की पूजा करते है।
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तनोट माता बीएसएफ के जवानों के लिए आराध्य देवी है। सभी जवान माता के नित्य पूजा पाठ करते है। माता का पूरा मंदिर बीएसएफ के नियंत्रण में रहता है। यह मंदिर 1965 भारत-पाक युद्ध का गवाह है।
तनोट माता मंदिर का इतिहास(Tanot Mata History In Hindi)
साहित्य के अनुसार तनोट माता हिंगलाज माता की अवतार है जिनका प्रसिद्ध मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान में है। तनोट माता का मंदिर भाटी राजपूत नरेश तणुराव ने बनाया था। भाटी तथा जैसलमेर के आसपास के लोग तनोट माता की पूजा करते है।
तनोट माता बीएसएफ के जवानों के लिए आराध्य देवी है। सभी जवान माता के नित्य पूजा पाठ करते है। माता का पूरा मंदिर बीएसएफ के नियंत्रण में रहता है। यह मंदिर 1965 भारत-पाक युद्ध का गवाह है।
बीएसएफ के जवान ही मंदिर परिसर की देखरेख करते है। बताया जाता है कि 1965 में भारत पाकिस्तान युद्ध के समय पाकिस्तानी सेना ने माता के मंदिर के इलाके में करीब 3000 बम गिराए थे लेकिन मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ सभी बम माता के चमत्कार से बेअसर हो गये।
सीमा के सैनिक तनोट माता को आराध्य देवी क्यों मानते हैं?
माता के चमत्कार को देखकर बीएसएफ के जवान माता को अपनी आराध्य मानते है। माता के चमत्कार को देखकर पाकिस्तानी ब्रिगेडियर शाहनवाज खान माता के सामने नतमस्तक हो गया था। मंदिर परिसर में आज भी 450 पाकिस्तानी जिंदा बम आम लोगो के देखने के लिए रखे गए है।
देवी माता के पूरे रखरखाव का जिम्मा बीएसएफ के पास रहता है। मंदिर ही नही पूरा परिसर बीएसएफ के नियंत्रण में रहता है। 1965 में भारत पाकिस्तान युद्ध में भारतीय जवानों की वीरता की याद में विजय स्तंभ का निर्माण करवाया गया। विजय स्तंभ भारतीय जवानों की वीरता की याद में बनाया गया। मंदिर के दर्शन के लिए लाखो भक्त हर साल आते है। चूंकि मंदिर बॉर्डर के पास है।
तनोट माता का चमत्कार और रहस्य
माता के चमत्कार को देखकर पाकिस्तानी ब्रिगेडियर नमस्तक हो गया था। युद्ध समाप्त होने के बाद पाकिस्तानी ब्रिगेडियर शाहनवाज खान ने माता के दर्शन के लिए भारत सरकार से अनुमति मांगी। बताया जाता है कि करीब ढाई साल बाद उसे दर्शन की अनुमति दी गई।
इसके बाद शाहनवाज खान ने माता के दर्शन किए और मंदिर में चांदी का छत्र माता को चढ़ाया। वो चांदी का छत्र आज भी मंदिर में है। शाहनवाज खान ही नहीं पाकिस्तान की पूरी सेना माता के सामने नतमस्तक हो गई थी। सभी माता का ऐसा चमत्कार देखकर चकित रह गए थे।
तनोट माता से सम्बंधित धार्मिक कथा
तनोट माता के मंदिर के पुजारी बताते हैं कि मामड़िया चारण नाम का एक चारण था, उसकी कोई संतान नहीं थी, इसलिए वह संतान प्राप्ति की मन्नत लेकर सात बार पैदल हिंगलाज माता मंदिर के दर्शन करने गया, जिससे माता हिंगलाज ने प्रसन्न होकर स्वप्न में उस चारण को दर्शन दिये और कहा कि तुम्हें पुत्र चाहिये या पुत्री, तब चारण युवक ने माता से कहा कि आप ही मेरे घर जन्म लो।
हिंगलाज माता की कृपा से उस चारण के घर सात पुत्रियों और एक पुत्र का जन्म हुआ। उसमे से एक पुत्री आवड़ माता थी, जिन्हें तनोट माता के नाम से पूजा जाता है।
कुछ महत्वपूर्ण बातें जो आपको जानना आवश्यक है
तनोट माता किस देवी का अवतार हैं?
प्राचीन चारण साहित्य में तनोट माता को हिंगलाज माता का अवतार बताया गया है जिनका मंदिर वर्तमान में पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित है।
तनोट माता का मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
1965-1971 के युद्ध में दुश्मनों की पाकिस्तानी सेना ने तनोट गांव में तनोट माता मंदिर के आसपास बम फेंके, जिनमें से तनोट माता की कृपा से एक भी बम नहीं फटा। तभी से सीमा पर स्थित तनोट माता का मंदिर पूरे देश में प्रसिद्ध हो गया।
भारत-पाकिस्तान के किस युद्ध में तनोट माता मंदिर पर बम फेंके गये थे?
1965-1971 के युद्ध में तनोट गाँव मे तनोट माता मंदिर के आसपास दुश्मनों की पाकिस्तानी सेना ने बम बरसाए जिसमे से एक भी बम माता तनोट की कृपा से नहीं फटा।
तनोट माता किसकी कुलदेवी हैं?
वह राजपूतों के भाटी वंश की कुलदेवी हैं। तनोट माता मंदिर का निर्माण राजपूत राजा तनुराव भाटी ने 828 ईस्वी में करवाया था और उसके बाद मंदिर में माता जी की मूर्ति स्थापित की गई थी। मंदिर के आस-पास के क्षेत्रों और भाटी वंश के लोग तन्नोत माता की पूजा करते हैं।
तनोट माता मंदिर रामदेवरा से कितनी दूर है?
रामदेवरा से तनोट माता मंदिर की दूरी 118 किमी है।
तनोट माता का मंदिर जैसलमेर से कितनी दूर है?
तनोट माता का मंदिर जैसलमेर से 130 किमी दूर स्थित है।
तनोट माता मंदिर से पाकिस्तान की सीमा कितनी दूर है?
तनोट माता मंदिर सीमा के निकट तनोट नामक गाँव में स्थित है।