करणी माता मंदिर का इतिहास? और रहस्य
करणी माता मंदिर| Karni Mata Temple Bikaner
हमारे देश में शक्ति स्वरूप देवी माता के अनेकों रूप तथा अनेकों नाम है। शक्ति स्वरूप देवी के मंदिर देश के हर कोने में स्थित है। देवी के मंदिर चमत्कारिक तथा भव्य होते है। हर हिंदू अपने कूल के अनुसार देवी माता की पूजा करते है।
देश के हर हिंदू की माता के प्रति अटूट श्रद्धा तथा अटूट विश्वास होता है। आज हम आपको ऐसे मंदिर के बारे मे बताएँगे जहां लगभग 20000 से ज्यादा की संख्या मे चूहे रहते है। इसीलिए यहाँ की माता करनी को चूहों वाली माता के नाम से जाना जाता है।
करणी माता मंदिर का इतिहास क्या है?
मां करनी को राजपूतों की कुलदेवी माना जाता है। यहा पर हर नवरात्रि में मेला भरता है जिसमे हज़ारों की संख्या में भक्त आते है और मां के आशीर्वाद प्राप्त करते है। करनी माता का मंदिर पर्यटकों के बीच काफी मशहूर है। यहां के लोगो का मानना है कि करनी माता लोगो की रक्षा करने वाली देवी दुर्गा का अवतार है।
करनी माता चारण जाति की योद्धा ऋषि थी। मंदिर में चारो तरफ चूहे घूमते रहते है। इन चूहों को करनी माता की संतान माना जाता है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को चूहों से कभी परेशानी नहीं होती। वहां भक्तों को चूहे की झूठी प्रसादी खिलाई जाती है, जिससे किसी को कोई बीमारी नहीं होती।
ये भी पढ़े:
1. | जाने रोज़ हनुमान चालीसा पढ़ने से क्या फायदे होते है? |
2. | |
3. | |
4. | |
5. | Kedarnath धाम का इतिहास,रहस्य |
6. | Shri Nathji मंदिर से जुड़ी 10 रोचक बातें |
मंदिर में काले और सफेद चूहे रहते हैं, लेकिन सफेद चूहे के दर्शन दुर्लभ माने जाते हैं। अगर किसी भक्त को सफेद चूहा दिख जाए तो समझ लें कि उसकी मांगी गई सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी।
करणी माता का मंदिर कहाँ स्थित है?
माँ करणी का मंदिर राजस्थान राज्य के बीकानेर जिले से 30 किमी दूर देशनोक शहर में स्थित है, यहाँ पहुँचने के लिए बीकानेर से बसें, जीप और टैक्सियाँ आसानी से उपलब्ध हैं। यह मंदिर बीकानेर-जोधपुर रेल मार्ग पर देशनोक रेलवे स्टेशन के पास स्थित है।
इस मंदिर पर साल में दो बार चैत्र और आश्विन माह के नवरात्रों में एक विशाल मेला भी लगता है। तब यहां बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं और मन्नतें मांगते हैं। मंदिर के पास भक्तों के रुकने के लिए धर्मशालाएँ भी हैं।
करणी माता मंदिर में इतने चूहों के आने के पीछे क्या है दिलचस्प कहानी?
यहां पर आने वाले सभी पर्यटकों के मन में यही सवाल रहता है कि इतने सारे चूहे आते कहा से है तथा क्यों आते है इसके बारे में जब लोगो से पूछा तो उन्होंने बताया कि करनी माता के सौतेले बेटे लक्ष्मण की नदी पर पानी पीते वक्त डूबकर मृत्यु हो गई थी।
जिससे माता करनी ने यमराज से इतनी प्रार्थना की कि यम को विवश होकर उनके पुत्र को चूहे के रूप में जीवित करना पड़ा। इन चूहों को माता करनी की संतान माना जाता है तथा इन चूहों का यहाँ काब्बा कहा जाता है।
करणी माता मंदिर में भक्त दबे पांव क्यों चलते हैं?
इन चूहों की खास बात यह है कि ये सुबह मंगला आरती व शाम की संध्या आरती को बिल से निकलकर बाहर आते है। अगर किसी भक्त द्वारा चूहों को कभी कोई चोट वगेरह लग जाती है तो भक्त को बड़ा पाप लगता है उस पाप से बचने के लिए भक्त को सोने का चूहा माता को चढ़ाना होता है इसीलिए मंदिर में भक्त कभी अपने पैरो को उठाके के नही चलते बल्कि घिसते हुए चलते है।
करणी माता मंदिर की संरचना कैसी है?
करनी माता मंदिर का निर्माण महाराजा गंगासिंह ने करवाया था। इस मंदिर को बनवाने में संगमरमर के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। मंदिर का मुख्य द्वार चांदी धातु का बना हुआ है। मुख्य द्वार के अलावा मंदिर के अंदर भी कई छोटे चांदी के दरवाजे बनाए हुए है। माता करनी का स्थान मंदिर के आंतरिक गृभगृह में स्थित है।
माता करणी मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय क्या है?
माता करनी के मंदिर में मार्च अप्रैल या सितंबर अक्टूबर महीने में मेले और त्योहार का आयोजन होता है। इसीलिए यहां के मेले तथा त्यौहार का लुफ्त उठाने के लिए इन्ही महीने में जाना चाहिए। वैसे आप कभी भी माताजी के दर्शन करने के लिए जा सकते है।
माता करणी मंदिर खुलने का समय:-
सुबह 5 बजे से रात 10 बजे तक
माता करणी मंदिर के आसपास रहने की व्यवस्था
करनी माता मंदिर के आसपास रहने के लिए आपको धर्मशालाएं तथा होटल भी मिल जाएंगे। धर्मशालाओं में रहने का किराया बहुत ही कम होता है। लेकिन होटल में रहने के लिए आप अपनी इच्छा अनुसार कर सकते है। खाने पीने के लिए बहुत ही अच्छी राजस्थानी वैरायटी के साथ साथ अच्छी व्यवस्था भी है।
करणी माता मंदिर के आसपास घूमने लायक पर्यटन स्थल कौन से हैं?
माता करनी का मंदिर बीकानेर से 30km की दूरी पर स्थित है। इसलिए आप माता करनी के साथ साथ बीकानेर के तथा बीकानेर के आसपास के पर्यटक स्थलों पर घूमने जा सकते है। आइए आपको मंदिर के पास के पर्यटक स्थलों के बारे में बताते है।
1. गजनेर पैलेस बीकानेर
बीकानेर में स्थित गजनेर पैलेस एक झील के किनारे पर स्थित है। इसका निर्माण महाराजा गंगासिंह जी ने शिकार करने तथा अवकाश व्यतीत करने के लिए करवाया था। बीकानेर का यह पैलेस पर्यटक स्थल के रूप में बहुत ही आकर्षक है।
2. गजनेर वन्य जीव अभयारण्य बीकानेर
करनी माता के आसपास के पर्यटक स्थलों में गजनेर वन्य जीव अभ्यारण भी शामिल है। यह अभ्यारण बीकानेर से 32km की दूरी पर स्थित है। यहां पर कई प्रजातियों के पशु पक्षी देखने को मिल जाएंगे।
3. लक्ष्मीनाथ मंदिर बीकानेर
करनी माता मंदिर की तरह ही बीकानेर में एक बहुत ही पुराना तथा प्रसिद्ध मंदिर लक्ष्मीनाथ का मंदिर है। यह मंदिर भगवान विष्णु तथा माता लक्ष्मी को समर्पित है।
4. देवी कुंड सागर बीकानेर
यह पर्यटक स्थल बीकानेर के सबसे अच्छे पर्यटकों के स्थल में शामिल है। राव बीका जी के बड़े पोते का यही अंतिम संस्कार किया गया था।
5. ऊट अनुसंधान केंद्र बीकानेर
यह बीकानेर का बहुत ही सुंदर पर्यटक स्थल है,यहां 3 नस्लों के 200 से ज्यादा ऊट है। यहां पर पर्यटक ऊट की सवारी का लुफ्त उठा सकते है। अन्य और भी पर्यटक स्थल है जहां पर आप मनोरंजन के लिए जा सकते है।
कुछ सामान्य बातें जो निश्चित रूप से जानने लायक हैं।
चूहों वाली देवी का मंदिर कहाँ है?
बीकानेर के देशनोक
करणी माता किसकी कुलदेवी हैं?
करणी माता राजपूतों के चारण वंश की कुलदेवी हैं।
करणी माता मंदिर का निर्माण किसने करवाया था?
करणी माता मंदिर का निर्माण महाराजा गंगासिंह ने करवाया था।