श्रीनाथजी मंदिर नाथद्वारा का इतिहास? Shrinathji Mandir History
भारत के राजस्थान राज्य में कई ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर है। आज हम राजस्थान राज्य में उदयपुर के पास स्थित एक खूबसूरत ऐतिहासिक स्थल के बारे में बताने जा रहे है। इस ऐतिहासिक स्थल का नाम है नाथद्वारा का श्रीनाथ जी मंदिर।
यह खूबसूरत मंदिर अरावली पर्वत की श्रृंखला में स्थित है। यह मंदिर वैष्णव धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थानों में सर्वोपरि माना जाता है। यहाँ पर भगवान श्री कृष्ण का स्वरूप श्रीनाथ के भव्य रूप में स्थित है।
नाथद्वारा श्रीनाथजी का मंदिर कहां स्थित है?
भगवान श्रीनाथजी का मंदिर उदयपुर से 45km दूर नाथद्वारा गांव में स्थित है। मंदिर में श्रीनाथजी का विग्रह भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप में है।
श्रीनाथजी का मथुरा से नाथद्वारा आने की कहानी का इतिहास?
औरंगजेब एक मुगल शासक था। औरंगजेब को मूर्ति पूजा का विरोधी माना जाता था। उसने आपने शासन काल में मंदिरों को तोड़ने का आदेश दे दिया। औरंगजेब के आदेश के साथ ही देशभर में मंदिरों को तोड़ने का काम शुरू हो गया। और इसके साथ साथ मथुरा जिले के श्रीनाथ मंदिर को भी तोड़ने का काम शुरू हो गया।
मथुरा मंदिर के पुजारी दामोदर दास बैरागी श्रीनाथजी की मूर्ति को टूटने से बचाने के लिए मंदिर से बाहर लेकर आ गए। उन्होंने श्रीनाथजी की मूर्ति को बैलगाड़ी में रखा और कहीं राजाओं से आग्रह किया कि मंदिर बनाकर श्रीनाथजी की मूर्ति को उस मंदिर में स्थापित कर दे। लेकिन उस समय औरंगजेब के डर से किसी राजा ने उनका आग्रह को स्वीकार नहीं किया।
इसके बाद दामोदर दासजी ने श्रीनाथजी की मूर्ति को वैष्णव संप्रदाय के वल्लभ गोस्वामी को दी। कहां कि वो भगवान की मूर्ति राजस्थान लेकर जाए। फिर वल्लभ गोस्वामी जी मूर्ति को लेकर राजस्थान राजपूताना में आ गए और उदयपुर के राजा राणा राजसिंह के पास दामोदर दासजी ने प्रस्ताव भेजा कि वो मंदिर बनाकर मूर्ति उसमे स्थापित करें।
राजा राणा राजसिंह ने दामोदर दासजी के प्रस्ताव को स्वीकार किया और औरंगजेब को खुली चुनौती दे दी। और औरंगजेब को कहा कि हमारे रहते हुए बैलगाड़ी में रखी हुई श्रीनाथजी की मूर्ति कोई नही छू सकता है। श्रीनाथजी की मूर्ति तक पहुंचने के लिए उनको एक लाख राजपूतों से निपटना होगा।
जोधपुर के पास चौपासनी गांव में कई महीनों तक श्रीनाथजी की मूर्ति बैलगाड़ी में रखी रही। बैलगाड़ी में ही भगवान की पूजा और उपासना होती रही।
उसके बाद 1671 में चौपासनी से मूर्ति को उदयपुर से 45km दूर और जोधपुर से 140km दूर सिहाड गांव लाया गया। वहां भगवान की मूर्ति का स्वागत करने के लिए राजा राणा राजसिंह स्वयं आए थे।
यही भगवान को 1672 में मंदिर का काम संपूर्ण होने के बाद मंदिर में स्थापित किया गया। बाद में सिहाड गांव को “नाथद्वारा” के नाम से जाना जाने लगा।
नाथद्वारा में श्रीनाथजी के दर्शन कितने बजे होते हैं?(Shrinathji Mandir Timing)
नाथद्वारा में भगवान श्रीनाथजी के दर्शन अलग अलग समय में अलग अलग रूप में होते है
सुबह के समय में होने वाले दर्शन का समय
- मंगला: 05:45 am to 06:30 am
- श्रृंगार: 07:30 am to 08:05 am
- ग्वाल: 09:05 am to 09:30 am
- राजभोग: 11:00 am to 11:55 am
संध्याकाल में दर्शन करने का समय
- उत्थापन: 03:40 pm to 04:00 pm
- भोग आरती: 05:30 pm to 6:00 pm
श्रीनाथजी मंदिर के बारे में अन्य जानकारी जो जानने योग्य है
नाथद्वारा मंदिर में भगवान की पूजा कितनी बार होती है?
मंदिर में भगवान श्रीनाथजी की पूजा दिन में 8 बार होती है।
श्रीनाथजी को मथुरा से नाथद्वारा कौन लाया था?
श्रीनाथजी को वैष्णव संप्रदाय के वल्लभाचार्य लाए थे।
श्रीनाथजी की मूर्ति को नाथद्वारा कब लाया गया और कब मंदिर में स्थापित किया गया?
श्रीनाथजी की मूर्ति को नाथद्वारा दिसंबर 1671 में लाया गया लेकिन मंदिर का काम संपूर्ण होने के बाद 1672 में मूर्ति को मंदिर में स्थापित किया।