गंगा में अस्थि विसर्जन क्यों किया जाता है? 10 मुख्य कारण
हिंदू धर्म में इंसान की मृत्यु के बाद उसकी राख को गंगा के पानी में प्रवाहित करने की प्रक्रिया को ‘गंगा तीर्थ’ कहा जाता है, और इंसान की मृत्यु के बाद उसकी राख को पवित्र नदी गंगा में प्रवाहित करने की इस प्रक्रिया का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। गंगा तीर्थ करने के पीछे धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं तो हैं ही, साथ ही यह भी माना जाता है कि अस्थियों को गंगा के पवित्र जल में विसर्जित करने से पुण्यात्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
हिन्दू धर्म में पवित्र नदी गंगा को माँ गंगा देवी के रूप में पूजा जाता है, और इसे एक पवित्र नदी माना जाता है इसमें स्नान करने से जीवित व्यक्ति पापों से मुक्त हो जाता है।
गंगा तीर्थ यात्रा करना हिंदू धर्म की एक परंपरा है जो कई सदियों से चली आ रही है, जो आज के युग में भी विद्यमान है। लाखों लोग अपने पूर्वजों की अस्थियों को गंगा नदी के तट पर विसर्जित करने के लिए हरिद्वार, उज्जैन, प्रयागराज और वाराणसी जाते हैं।
पवित्र नदी गंगा में अस्थियों को विसर्जित करने के कई कारण हैं, लेकिन वे सभी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जो हिंदू समाज में महत्वपूर्ण हैं।
गंगा नदी में अस्थियां विसर्जित करने के 10 कारण
1. गंगा को मां गंगा के रूप में पूजा जाता है और इसका जल पवित्र माना जाता है। इसलिए, अस्थियों को गंगा के पानी में प्रवाहित करके उनकी पवित्रता बनाए रखने के लिए विसर्जित किया जाता है।
2. हिन्दू धर्म के नजरिये से माना जाता है कि अस्थियों को गंगा जल में विसर्जित करने से आत्मा अपने अवगुणों से मुक्त होकर मोक्ष की ओर अग्रसर होती है।
3. आत्मा की शांति के लिए अंतिम संस्कार के तौर पर राख को गंगा केपवित्र पानी में प्रवाहित किया जाता है।
4. इसके अलावा धार्मिक कारणों से अस्थियों को गंगा जल में प्रवाहित करने की प्राचीन परंपरा है, जिसमें लोग गंगा को सबसे पवित्र नदी मानते हैं।
5. कुछ धार्मिक विचारधाराओं के अनुसार, अस्थियों को गंगा के जल में प्रवाहित करने से आत्मा के अद्वैत (अनंत) स्वरूप को प्रकट करने का मार्ग मिलता है।
6. गंगा जल में राख डालने की एक और मान्यता यह है कि यह पापों के प्रायश्चित (क्षमा) का माध्यम है।
7. इसके अलावा, राख को गंगा के पानी में प्रवाहित करना अक्सर समर्पण का प्रतीक माना जाता है, जिससे आत्मा भगवान के प्रति अपनी सच्ची सेवा का वचन देती है।
8. अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने का एक अन्य विचार यह है कि यह आत्मा को संगति के साथ मोक्ष प्राप्त करने की दिशा में आगे आसानी से बढ़ जाये है।
9. गंगा को प्राकृतिक धार्मिकता का प्रतीक माना जाता है और इसके जल को पवित्रता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
10. गंगा तीर्थयात्रा से समाज में एकता बढ़ती है और हिंदू धर्म अपनी परंपरा से जुड़ा रहता है।