Jeen Mata Mandir History- भंवरों वाली देवी जीण माता
भारत न केवल धार्मिक मान्यताओं वाला देश है, बल्कि यह सनातन धर्म से जुड़ी प्राचीन विरासत का भी प्रतीक है। देश में देवी-देवताओं की सिर्फ पूजा नहीं की जाती बल्कि सभी देवी-देवताओं को धर्म शक्ति का प्रमुख माना जाता है। आज हम राजस्थान में स्थित मां शक्ति के मंदिर, जिन्हें जीण माता के नाम से जाना जाता है, उनसे जुड़े इतिहास और उनकों “भंवरों वाली देवी” क्यों कहा है , के बारे में बताएंगे।
जीण माता का मंदिर कहाँ स्थित है? (Jeen Mata Mandir)
राजस्थान राज्य के सीकर जिले से 28 किमी दूर शेखावाटी क्षेत्र में जयपुर सीकर मुख्य मार्ग पर रेवासा गाँव में माता का बहुत ही चमत्कारी और भव्य मंदिर बना हुआ है। यह मंदिर तीन छोटी पहाड़ियों के बीच में स्थित है और यह मंदिर हिंदू धर्म से जुड़े लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। मंदिर में जीण माँ की पूजा की जाती है. माँ का दरबार बड़ा चमत्कारी है. यह एक प्रमुख हिंदू पूजा स्थल है और जीण माता के भक्त आशीर्वाद प्राप्ति के लिए यहां आते हैं।
जीण माता मंदिर का इतिहास- Jeen Mata Mandir History
भारत में 51 शक्तिपीठों के अलावा शक्ति स्वरूपा देवी-देवताओं के कई मंदिर हैं। उनमें से एक सीकर का जीण माता मंदिर है, जिसका मुख दक्षिण की ओर है। माता के चमत्कारी मंदिर में तांत्रिकों की तस्वीरें लगी हुई हैं, जिससे प्राचीन काल का अहसास होता है कि प्राचीन काल में यह तांत्रिकों की साधना का केंद्र था। मंदिर के गर्भगृह में माता की मूर्ति आठ भुजाओं वाली है।
यह मंदिर माता जीण और उनके भाई के प्रेम का प्रतीक है। मंदिर के अंदर आठ शिलालेख स्थित हैं। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में हुआ था। माता का मंदिर तीन छोटी पहाड़ियों के बीच घने जंगल में स्थित है और यह मंदिर हिंदू धर्म से जुड़े लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। मंदिर में जीण मां की पूजा की जाती है। माँ का दरबार बड़ा चमत्कारी है। यह एक प्रमुख हिंदू पूजा स्थल है और जीण माता के भक्त आशीर्वाद लेने के लिए यहां आते हैं।
जीण माता और उनके भाई हर्ष भैरव से जुड़ी कथा
जीण माता ने अरावली श्रृंगला की काजल नामक पहाड़ी पर वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। कहानी में बताया गया है कि जीण माता का जन्म राजस्थान के चुरू जिले में स्थित घांघू गांव के एक शाही परिवार में हुआ था। जीण माता का मूल नाम जवंती बाई था।
जवंती बाई और उनके भाई में बहुत प्रेम था लेकिन जब उनके भाई की शादी हो गई। तो एक दिन वह अपनी भाभी के साथ पानी का घड़ा भरने गई, तभी दोनों में इस बात को लेकर विवाद हो गया। कि हर्ष सबसे ज्यादा किससे प्यार करता था, फिर दोनों में उनमें से यह पता लगाने का निर्णय लिया गया। कि हर्ष जिसका घड़ा पहले उतारेगा वो उसको सबसे ज्यादा प्यार करता है।
जब दोनों घर पहुंचे तो सबसे पहले हर्ष ने अपनी पत्नी का घड़ा उतारा। इससे रुष्ट होकर जवंती बाई ने घर छोड़ दिया। और काजल नामक पहाड़ पर तपस्या करने लगी। तभी उसके भाई हर्ष को इसका एहसास हुआ। इसलिए वह भी घर छोड़कर भैरव की तपस्या में लग गए। और जवंती बाई माता भुवनेश्वरी की तपस्या में लग गईं।
इसीलिए जवंती बाई को देवी के रूप में पूजा जाता है और उनके भाई, जिनका मंदिर ऊपर पहाड़ी पर स्थित है, की हर्षभैरव के नाम पर पूजा की जाती है।
जीण माता को भंवरों वाली माता क्यों कहा जाता है- Jeen Mata called the mother of Bees
जब औरंगजेब के आदेश पर मुगल सेना ने शेखावाटी के मंदिरों को तोड़ना शुरू किया। तो लोगों ने जीण माता से प्रार्थना की। लोगों की प्रार्थना सुनकर जीण माता ने चमत्कारिक ढंग से भवरों की एक विशाल सेना भेजी थी जिसके कारण मुगल सेना उनका सामना करने में सक्षम नहीं थी। भवरों की सेना ने मुगलों को काटना शुरू कर दिया। जिससे मुगल सेना को भागने पर मजबूर होना पड़ा। तभी से जीण माता को “भवरों वाली माता” के नाम से जाना जाता है।
माता का चमत्कार देखकर औरंगजेब को अपनी गलती का एहसास हुआ जिसके कारण उसने माता से माफी मांगी और उसने माता को स्वर्ण मुकुट भी अर्पित किया और उसने माता से कहा कि वह हर महीने माता की अखंड ज्योत के लिए तेल भेजेगा।
जीण माता मंदिर मेला -Jeen Mata Temple Fair
जीण माता का मेला चैत्री और आश्विन माह के नवरात्रि उत्सव के दौरान आयोजित किया जाता है। इन दिनों में माता के दरबार में भक्तों की भारी भीड़ होती है और चतुर्दशी के दिन हर्ष भैरव का मेला लगता है।
जीण माता मंदिर में बलि और ढाई प्याला शराब
मंदिर परिसर में प्रतीकात्मक रूप से बकरे के कानों की बलि दी जाती है, उन्हें मंदिर परिसर में नहीं काटा जाता है और विशेष दिनों में माता को ढाई प्याला शराब चढ़ाई जाती है।
जीण माता किस कुल की कुल देवी है?
जीणमाता चौहान वंश की कुल देवी हैं।