आदि गुरु श्री शंकराचार्य जी का जीवन परिचय | Adi Guru Shankaracharya
सनातन धर्म और दार्शनिक समुदाय के विकास में आदि शंकराचार्य का योगदान बहुत महत्वपूर्ण था और उनकी विचारधारा आज भी भारतीय दार्शनिकों और आध्यात्मिकता के लिए महत्वपूर्ण बनी हुई है। उनके जीवन का महत्व और उनके द्वारा दी गई शिक्षाएं आज भी सनातन धर्म में महसूस की जाती हैं। आईये उनके जीवन के बारे में जानते है
आदि गुरु श्री शंकराचार्य जी का जीवन परिचय-
आदि शंकराचार्य का पूरा जीवन सनातन धर्म के प्रचार में बीता। उन्होंने अपना पूरा जीवन सनातन धर्म के महत्व को समझाने के लिए समर्पित कर दिया। उनके जीवन का महत्व और उनके द्वारा दी गई शिक्षाएं आज भी सनातन धर्म में महसूस की जाती हैं।
आदि गुरु श्री शंकराचार्य का जन्म और माता पिता:
वर्तमान कलियुग में सनातन धर्म के रक्षक एवं प्रचारक श्री शंकराचार्य का जन्म केरल के एक धर्मनिष्ठ ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका जन्म 2400 वर्ष पूर्व वैशाख मास की शुक्ल पंचमी को हुआ था। उनके पिता का नाम शिवगुरु और माता का नाम आर्यम्बा था।
आदि गुरु श्री शंकराचार्य बचपन से ही प्रतिभा के धनी:
शंकराचार्य बचपन से ही प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने अपनी असाधारण एवं अद्भुत प्रतिभा से अपने शिक्षकों को आश्चर्यचकित कर दिया। 7 वर्ष की आयु में ही उन्होंने वेद, वेदांत और वेदांगों का पूर्ण अध्ययन कर लिया था। आदि शंकराचार्य सनातन धर्म एवं दार्शनिक समुदाय के महान गुरु थे। उन्होंने वेदांत के तत्वों की बहुत गहराई से व्याख्या और प्रचार-प्रसार किया। उन्होंने वेदांत को एक महत्वपूर्ण धार्मिक दर्शन के रूप में प्रस्तुत किया।
आदि गुरु श्री शंकराचार्य ने बचपन में ही सन्यास:
बचपन से ही उनकी इच्छा धार्मिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त करने की थी। उन्होंने बचपन में ही वेद और वेदांत का अध्ययन शुरू कर दिया था और फिर उन्होंने संन्यास ले लिया और अपना जीवन आध्यात्मिक गतिविधियों में समर्पित कर दिया।
आदि गुरु श्री शंकराचार्य चार धामों का महत्त्व प्रचारक:
हमारे हिन्दू धर्म में स्कंद पुराण के तीर्थ प्रकरण के अनुसार चार धाम यात्रा को महत्वपूर्ण तीर्थयात्रा माना गया है। चार धामों की यात्रा करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्राचीन समय से ही भारत देश की चरों दिशाओ में ये चार धाम स्थित है लेकिन इनके महत्व का प्रचार जगत गुरु शंकराचार्य जी ने किया था।
ये चार धाम चार दिशाओं में स्थित है-
1. उत्तर में बद्रीनाथ, उत्तराखंड में स्थित है
2. दक्षिण रामेश्वर, तमिलनाडु में स्थित है
3. पूर्व में जगन्नाथ पूरी ओडिशा में स्थित है और
4. पश्चिम में द्वारिका पुरी, गुजरात में स्थित है।
आदि गुरु श्री शंकराचार्य ने चार मठों की स्थापना:
श्री शंकराचार्य जी ने भारत देश के चार दिशाओं में सनातन धर्म प्रचार के लिए 4 मठो की स्थापना की थी और उनमें अपने शिष्यों को प्रचारक रूप में नियुक्त किया।
ये चार मठ देश के चार दिशाओ में निम्नानुसार स्थित है-
1. पूर्व में जगन्नाथ पुरी में “गोवर्धन मठ ”
2. दक्षिण में “शङ्गेरी ” मठ
3 पश्चिम में द्वारिका पुरी में शारदा मठ और
4. उत्तर में ” ज्योतिर्मठ ”
ये चार दिशा में स्थापित मठ आज भी सनातन धर्म की प्रतिष्ठता और प्रचार में लगे हुए और आगे भी लगे रहेंगे
शंकरचार्य जी का जीवनकल बहुत ही काम था उनकी मृत्यु 32 साल की उम्र में हो गयी थी। उनके द्वारा सनातन धर्म के लिए किये कार्य उनको आज भी हमारे बिच जिन्दा रखे हुए है।