Anant Chaturdashi Date 2023, Shubh Muhurat- अनंत चतुर्दशी शुभ मुहूर्त

Anant Chaturdashi 2023 kab hai

आचार्य तरुण कुमार त्रिवेदी ने बताया कि इस साल अनंत चतुर्दशी 28 सितंबर को है। हर साल अनंत चतुर्दशी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु का अनंत के रूप में पूजन किया जाता है और भगवान विष्णु के नाम का व्रत किया जाता है। यह व्रत करने से आप रोग मुक्त हो सकते है। भगवान गणपति का विसर्जन भी अनंत चतुर्दशी के दिन होता है।

Anant Chaturdashi Shubh Muhurat 2023

आचार्य तरुण कुमार त्रिवेदी ने बताया कि उदया तिथि के अनुसार, इस साल अनंत चतुर्दशी का व्रत गुरुवार 28 सितंबर 2023 शुभ समय 6 बजकर 32 मिनट से शुरू हो रहा है जो सुबह 8.02 बजे तक रहेगा। लाभ अमृत का चौघड़िया दोपहर 12.32 बजे से 3.32 बजे तक रहेगा। और अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12.08 बजे से 12.56 बजे तक रहेगा।

Anant Chaturdashi Pujan Vidhi(अनंत चतुर्दशी पूजन विधि)

आचार्य तरुण कुमार त्रिवेदी ने बताया कि यह उपवास सुबह से लेकर शाम का होता है। इस उपवास में अगले दिन तक का पारण नही होता है। सबसे पहले सुबह नहा धोकर भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप का पूजन करना चाहिए। इसके बाद एक धागे में चौदह गांठे लगाकर उसके ऊपर कुमकुम, केसर और हल्दी डालनी चाहिए। इस धागे को अनंत कहते है। अनंत को भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने रखकर भगवान विष्णु की षोडशोपचार विधि से पूजा करनी चाहिए। इसके बाद में अनंत का रक्षासूत्र अपने हाथ में बांध कर उपवास खोलना चाहिए। इस व्रत को पूरे विधि विधान से करने पर आपको असीम पुण्य की प्राप्ति होती है।

Anant Chaturdashi का महत्व

अनंत चतुर्दशी भगवान विष्णु के पूजन का पर्व है। इस दिन भगवान विष्णु ने 14 लोकों यानी तल, वितल, सुतल,तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुव:, स्व:, जन, तप, सत्य और मह की रचना की थी। अगर किसी को काफी समय से रोग है तो उनको यह व्रत करने से रोग से राहत मिलती है। यह व्रत परिवार में कोई भी कर सकता है, पति पत्नी के लिए, माता पुत्र के लिए, पत्नी पति के लिए यह व्रत कर सकते है। यह व्रत करने से परिवार में होने वाले क्लेश में राहत मिलता है। 

Anant Chaturdashi Katha(अनंत चतुर्दशी कथा)

महाभारत की कथा में बताया गया है कि कौरवों ने धोखे से जुए में पांडवों को पराजित किया था। इसके बाद पांडवों को राज सिंहासन छोड़कर जंगलों में वनवास जाना पड़ा था। वनवास के समय पांडवों ने बहुत कष्ट उठाए थे। एक दिन भगवान श्री कृष्ण पांडवों से मिलने जंगल में आए, भगवान श्री कृष्ण को देखकर युधिष्ठर ने भगवान से कहा कि भगवान इस पीड़ा से निकलने का और वापस राजपाट प्राप्त करने का कोई रास्ता बताए। युधिष्ठर की विनती सुनकर भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि पांचों भाई और द्रौपदी सभी मिलकर अनंत चतुर्दशी का व्रत करें और भगवान विष्णु की पूजा करे।

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युधिष्ठर ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा कि यह अनंत कौन है? इसपर भगवान कृष्ण उनको बताते है कि अनंत भगवान विष्णु का रूप है। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर अनंत शयन में रहते है। भगवान विष्णु के अनंत रूप ने ही वामन अवतार में दो पग में तीनों लोको को नाप लिया था। इसका न तो कोई आदि का पता है और ना ही कोई अंत का पता है, इसीलिए इन्हें अनंत भगवान कहते है। इनके व्रत से आपके सारे रोग दूर हो जाएंगे। इसके बाद युधिष्ठर ने परिवार के साथ अनंत का व्रत किया और उनको वापस हस्तिनापुर का राजपाट मिल गया।

अनंत चतुर्दशी व्रत 2023 की उद्यापन विधि

हमारे आचार्य तरुण कुमार त्रिवेदी ने इस व्रत की उद्यपान के लिए बताया कि शास्त्रों के अनुसार अनंत चतुर्दशी व्रत के उद्यपान करने के लिए घर में भगवान विष्णु की अनंत रूप में विधि विधान के साथ पूजा और हवन करना चाहिए। इसके बाद जिस पुरुष या स्त्री के व्रत का उद्यपान करना है उनको 14 व्रतधारी लोगों को भोजन करवाना चाहिए। इस तरीके से आप अनंत चतुर्दशी व्रत का उद्यपान कर सकतें है।

अनंत चतुर्दशी का व्रत कब खोल सकते है?

अनंत चतुर्दशी का व्रत अगले दिन तक नहीं रखना चाहिए। अनंत रक्षासूत्र बांधने के बाद आप पारण या व्रत खोल सकते हैं। आप अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह मुहूर्त में भगवन अनंत की पूजा करके अनंत रक्षासूत्र पहन कर व्रत खोल सकते है।

अनंत चतुर्दशी का व्रत कैसे करते है?

चतुर्दशी का व्रत अगले दिन तक नहीं रखना चाहिए। सुबह मुहूर्त में भगवान् विष्णु की अनंत के रूप में पूजा करके 14 गांठे वाले अनंत रक्षासूत्र बांधने के बाद आप पारण या व्रत खोल सकते हैं। आप अनंत चतुर्दशी के दिन शुभ मुहूर्त में भगवान अनंत की पूजा करके अनंत रक्षासूत्र पहन कर व्रत खोल सकते है।

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