बाबा रामदेव जी का जीवन, जन्म, माता-पिता, स्थान से जुड़ा इतिहास
राजस्थान राज्य में कई लोक देवताओं की पूजा की जाती है, उनमें से रामदेवरा में स्थित प्रसिद्ध मंदिर रामदेवरा मंदिर है जहां बाबा रामदेवजी का समाधि स्थल स्थित है। बाबा रामदेवजी एक प्रसिद्ध लोक देवता हैं
1. बाबा रामदेवजी का जन्म- Baba Ramdevji Birth
बाबा रामदेव जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल दूज (बीज) को बाडमेर जिले की शिव तहसील के उण्डुकामेर गांव में हुआ था। कुछ कथाओं में उनका जन्म पंचमी को बताया गया है।
2. बाबा रामदेवजी के माता पिता- Baba Ramdevji Parents
बाबा रामदेवजी पश्चिमी राजस्थान के लोक देवता माने जाते हैं। उनके पिता का नाम श्री राजा अजमल जी और माता का नाम मैनादे था। रामदेव जी की बहन का नाम लाचा बाई और सुगना बाई था
3. बाबा रामदेवजी के उपनाम- Baba Ramdevji Nicknames
बाबा रामदेवजी को पीरों के पीर, रामसापीर, रुणिचा रा धणी आदि उपनामों से जाना जाता है।
4. बाबा रामदेवजी का विवाह- Baba Ramdevji Marriage
बाबा रामदेवजी का विवाह वर्तमान पाकिस्तान में स्थित अमरकोट के सोढ़ा दलपत सिंह की पुत्री नेतलदे (निहालदे) से हुआ था।
5. बाबा रामदेवजी के भक्त- Baba Ramdevji Bhakt
बाबा रामदेवजी के मेघवंशी गाने बजाने वाले उनके भक्त “रिखिया” कहलाते हैं। वर्तमान में बाबा रामदेवजी के भक्त सर्व समाज के लोग है लेकिन मुख्यता गाने बजने वाले लोग होते है।
6. बाबा रामदेवजी किसका अवतार है?
समस्त हिंदू उन्हें भगवान श्री कृष्ण का अवतार मानकर तथा मुसलमान उनको रामसापीर मानकर उनकी पूजा अर्चना करते हैं। बाबा रामदेव जी अर्जुन के वंशज माने जाते हैं।
7. बाबे री बीज- Babe ri Bheej
भादवा की बीज (दूज) प्राय: “बाबे री बीज” के नाम से पुकारी जाती हैं इसी तिथि को बाबा रामदेव जी ने अवतार लिया था।
8. बाबा रामदेवजी के मंदिर और ध्वजा का नाम:
बाबा रामदेव जी के मंदिर को “देवरा” कहां जाता है और बाबा रामदेव जी को चढ़ाई जाने वाली श्वेत ध्वजा को “नेजा” कहां जाता है जो 5 रंगों की होती है।
9. बाबा रामदेवजी का “जम्मा” और “पर्चा”:
बाबा रामदेव जी के जागरण को “जम्मा” कहा जाता है। बाबा रामदेव जी के चमत्कारों को भक्तों द्वारा पर्चा कहा जाता है। इसका अर्थ परिचय देना होता है।
10. बाबा रामदेव जी के प्रतीक चिन्ह:
बाबा रामदेव जी सर्वगुण संपन्न व्यक्ति थे और एक प्रसिद्ध कवि भी जिन्होंने चौबीस वाणियां की रचना की। बाबा रामदेव जी के प्रतीक चिन्ह “पग्ल्ये” (पद चिन्ह) की पूजा होती है।
11. बाबा रामदेवजी को चढ़ाई जाने वाली भेंट:
बाबा रामदेव जी को उनके भक्तों के द्वारा सच्चे मन से कपड़े का घोड़ा और चादर भेंट चढ़ाई जाती हैं।
12. बाबा रामदेव जी की समाधि में पूजा:
बाबा रामदेव जी की समाधि में पूजा की जाती है। बाबा रामदेव जी हर व्यक्ति के साथ समान भेदभाव रहित व्यवहार करते थे। वे हरिजन को अपने गले का मोती कहते थे। उन्होंने जाति व्यवस्था का पालन नहीं किया.
13. बाबा रामदेव जी के पुत्र:
बाबा रामदेवजी के दो पुत्र थे, उनकी समाधि भी रामदेवजी के मंदिर में बनी हुई है, उनके नाम साधोजी और देवोजी थे।
14. बाबा रामदेव जी के गुरु:
बाबा रामदेव जी के गुरु का नाम बालीनाथ था। बाबा रामदेव जी ने कामड़िया संप्रदाय की स्थापना की थी।
15. बाबा रामदेव जी मंदिर में लगने वाला मेला (राजस्थान का कुम्भ):
बाबा रामदेव जी मंदिर में लगने वाला मेला साम्प्रदायिक सौहार्द के स्थल के रूप में पूरे विश्व में जाना जाता है। इस मेले को राजस्थान का कुम्भ माना जाता है। मंदिर में लाखों श्रद्धालु पैदल या विभिन्न साधनों से बाबा के दर्शन के लिए आते हैं।
16. बाबा रामदेव जी के चरणों की पूजा:
राजसस्थान में कई चमत्कारी लोक देवता हैं, उनमें से बाबा रामदेव जी एकमात्र ऐसे लोक देवता हैं जिनके चरणों की पूजा की जाती है।
17. बाबा रामदेवजी का घोडा:
उनके घोड़े का रंग नीला था इसलिए उन्हें नीले घोड़े का सवार कहा जाता था।
18. बाबा रामदेव जी के अन्य मंदिर:
बाबा रामदेव जी के रामदेवरा में स्थित मंदिर के अलावा अन्य भव्य मंदिर जोधपुर के पश्चिम में मसुरिया हिल्स, सूरतखेड़ा (चित्तौड़गढ़) और बिरतिया (अजमेर) में भी स्थित हैं।