चेहर माता मंदिर का इतिहास? और प्रकट होने की कथा| Chehar Mata Mandir

श्री चेहर माता मंदिर मर्तोली|Chehar Mata Temple Martoli

आज हम आपको गुजरात की सबसे प्रसिद्ध और चमत्कारिक देवी चेहर माता के बारे में बताएंगे। मां चेहर की प्रतिमा खूबसूरती का खजाना छुपाए हुए है। मंदिर में दर्शन करने आने वाले भक्तों को माता अलग अलग रूप में दर्शन देती है।

भक्तों को कभी माता की प्रतिमा छोटी कन्या के रूप में तो कभी बूढ़ी औरत के रूप में दिखाई देती है। मां चेहर को केसर भवानी के नाम से भी जाना जाता है। गुजरात के साथ साथ राजस्थान और अन्य राज्य में भी मां चेहर के भक्त बड़ी संख्या में है। मां चेहर को मां चामुण्डा का अवतार माना जाता है।

कहां स्थित है श्री चेहर माता का मंदिर?

चेहर माता का मंदिर गुजरात राज्य के मेहसाना जिले के एक छोटे से गांव मर्तोली में स्थित है। माता चेहर का धाम बहुत खूबसूरत, पवित्र और प्रसिद्ध धार्मिक स्थान है। हर महीने माता के धाम में उनके हजारों भक्त दर्शन के लिए आते है।

श्री चेहर माँ का इतिहास?(Shree Chehar Mata Itihas)

चेहर माता का प्राचीन मंदिर 901 साल पुराने पवित्र पेड़ केसुदा के नीचे बना हुआ है। पेड़ के नीचे माता चेहर की चांदी की सुंदर नक्काशी भी रखी हुई है। मां चेहर के मंदिर में दूर दूर से उनके भक्त दर्शन के लिए आते है, इसीलिए मंदिर प्रबंधन ने भक्तों के रहने के लिए मंदिर के पास ही सुंदर इमारत का निर्माण करवाया है। इमारत बहुमंजिला बनी हुई है और इमारत के अंदर भोजनशाला की व्यवस्था भी है। भोजनशाला में भक्तों को शुद्ध और स्वादिष्ट खाना दिया जाता है जिसका मूल्य बहुत कम होता है।

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मां चेहर अपने भक्तों के अंदर भरे हुए भ्रम को खत्म करती है और भक्तों के बीच सदभाव और अच्छाई लाती है। चेहरे मां हमेशा अपने साथ 51 बहादुर पुरुषों को रखती है इन पुरुषों को सामान्य भाषा में वीर के नाम से जाना जाता है। आवश्यकता पड़ने पर वीर को आगे भेजा जाता है।

जाने श्री चेहर माता मर्तोली धाम के पुजारी या भुवाजी कौन है?(Bhuvaji)

चेहर धाम के पुजारी और भुवा कांजीभाई है। चेहर माता मंदिर की सेवा उनका परिवार कई पीढ़ियो से कर रहा है। वहाँ पर आने वाले भक्तों का मानना है कि कानजी भाई के मुह से निकली हुई बाते सच साबित होती है और वो माता की आज्ञा लेकर भक्तो को उनकी समस्या का उपाय बताते है 

जानिए चेहर माता के प्रकट होने से जुड़ी कथा?

कथा के अनुसार मां चामुण्डा ने 900 साल पूर्व राजपूत दरबार की भक्ति से प्रसन्न होकर चेहर माता के रूप में राजपूत कुल में पुत्री के रूप में स्वयं प्रकट हुई थी। कथा में बताते है कि राजपूत दरबार की शादी के बाद कई साल बीत जाने के बाद भी कोई संतान नहीं हो रही थी और इस समस्या के साथ साथ राजपूत दरबार शेखावत सिंह को जमीन का हिस्सा भी नही मिल रहा था। एक बार एक महात्मा ने शेखावतसिंह को इन समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए मां चामुण्डा की पूनम करने और पूजा करने का कहा।

शेखावतसिंह ने महात्मा के कहने के अनुसार मां चामुण्डा की भक्ति करना शुरू किया। इनकी भक्ति से माता चामुण्डा प्रसन्न होकर उनके सपने में आई और कहा तुम्हारे राज दरबार में केसुदा का एक पेड़ है तुम मेरी घोड़ी वहां बांध दो में वही तुमसे मिलूंगी। यह सुनकर राजपूत ने माता की आज्ञा का पालन किया।

जैसे ही राजपूत केसूदा के पेड़ के पास गया तो वहां उनको स्वयं प्रकट तीन पुत्री की प्राप्ति हुई। उसमे से एक का नाम गंगाबा, दूसरी का नाम सोनबा और तीसरी पुत्री का नाम चेहुबा था। पुत्री चेहूबा का नाम ही आगे चलकर चेहर माता पड़ा। बसंत पंचमी के दिन चेहुबा का जन्म हुआ था इसीलिए उनका जन्मोत्सव हर साल बसंत पंचमी के दिन मंदिर मे बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है।

राठौड़ राजवंश ने उनका पालन पोषण करके उनको बड़ा किया और उनकी शादी वाघेला परिवार में तेरवाडा नामक गांव में करवा दी। शादी के कुछ समय बाद ही उनके पति की मृत्यु हो गई थी। चेहुबां के पति की मृत्यु का कारण चेहुब को ठहराते हुए उनके ससुराल वाले उनके साथ बुरा बर्ताव करने लगे। लेकिन उनको यह पता नही था कि चेहुबा साक्षात माता चामुण्डा का रूप है।

चेहुबा शक्तिशाली नाथ संप्रदाय बाबा औघड़नाथ की भक्त थी। बाबा औखड़नाथ ने उनको आध्यात्मिक और तांत्रिक कला में निपुण बना दिया था। चेहुबा के ससुराल वालो ने बाबा औखड़नाथ की भक्ति करने का चेहुबा को मना किया लेकिन चेहुबा ने उनकी भक्ति नहीं छोड़ी।

कुछ समय बाद बाबा औखड़नाथ वहां से चले गए और इसी चेहर माता का अनुसरण करते हुए मर्तोली गांव आ गए और वही रहने लगे।

चेहुबा अभी भी बाबा औखड़नाथ की भक्ति करती थी इसी बात से नाराज ससुराल वालो ने उनको मारने की योजना बनाई और चेहुबा को रात में तेरवाड़ा गांव के बगीचे में फेंक दिया। जैसे ही चेहुबा को बगीचे में फेंका गया तो बगीचे की क्यारी से आवाज आई कि यह तुमने क्या किया, तुमने मुझे पहचाना नहीं। मैं चेहुबा माता चामुण्डा का साक्षात रूप हु। आज से मैं चेहर माता के नाम से जानी जाऊंगी।

चेहर माताजी से जुड़ी भक्तों की आस्था

मां चेहर उन भक्तों की इच्छाओं को पूरा करती हैं और जो अपने दिल की गहरी जड़ों से उनसे प्रार्थना करते हैं। जो उस चाहत के लिए संकल्प लेने को भी तैयार रहते हैं। चेहर माँ उन लोगों को अपना प्यार आशीर्वाद देती हैं जो सच्चे दिल से उनसे प्रार्थना करते हैं। वह उन लोगों के काम में सफलता लाती है और जो लोग विश्वास के साथ उनके नाम (चेहर मां) का जाप करते हैं।

माता चेहर का जन्मोत्सव कब मनाया जाता है?

हर साल बसंत पंचमी के दिन माता चेहर का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस दिन मंदिर को फूलो से सजाया जाता है और भक्तों का मेला लगता है। 

कैसे पहुंचे चेहर माता के धाम मार्तोली?

चेहर धाम मर्तोली अहमदाबाद से 100km की दूर पर स्थित है। अहमदाबाद से आप बस या टैक्सी के द्वारा माता के धाम पहुंच सकते है।

अगर आप चेहर माता के मंदिर गुजरात के मेहसाना जिले से जाना चाहते है तो आप सड़क मार्ग से मेहसाना के मोढेरा चार रास्ता से होते हुए जा सकते है और मोढेरा चार रास्ते से माता का धाम 25km की दूरी पर स्थित है।

चेहर माता से जुड़ी रोचक जानकारियाँ जिसको जानना जरूरी है-

चेहर माता का जन्म कब हुआ था?

चेहर माता का जन्म बसंत पंचमी के दिन हुआ था। 

चेहर माता मंदिर मे चेहर माता का जन्मोत्सव कब मनाया जाता है?

 चेहर माता का जन्मोत्सव हर साल बसंत पंचमी के दिन मनाया जाता है, इस दिन मंदिर को फूलो से सजाया जाता है।

चेहर माता किस पेड़ के नीचे पूजी जाती है?

900 साल से भी ज्यादा पुराने केसुदा के पेड़ के नीचे चेहर माता पूजी जाती है। 

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