ईडाणा माता मंदिर का इतिहास? और रहस्य

अग्नि स्नान करने वाली देवी | Idana Mata Temple

हमारे देश भारत में अद्भुत चमत्कारों से भरे अनगिनत ऐसे मंदिर हैं, जिनके चमत्कारों का रहस्य आज तक विज्ञान भी नहीं सुलझा पाया है। किसी मंदिर में भगवान शराब पी रहे हैं तो किसी मंदिर में पानी से दीपक जलाया जा रहा है। किसी मंदिर के खंभे हवा में झूलते हैं तो किसी मंदिर में भगवान खुद पूजा करने आते हैं। ऐसे और भी कई मंदिर हैं जहां अद्भुत चमत्कार देखने या सुनने को मिलते हैं।

आज हम आपको एक ऐसे चमत्कारी मंदिर के बारे में बताएंगे जहां माता के मंदिर में स्वयं आग लग जाती है। यहां मां अग्नि स्नान करती हैं. आइए आपको बताते हैं कहां स्थित है यह चमत्कारी मंदिर? माँ अग्नि स्नान कैसे करती है? और क्या है मंदिर का रहस्य?

ईडाणा माता मंदिर का इतिहास

ईडाणा माता का चमत्कारिक मंदिर राजस्थान राज्य के प्रसिद्ध पर्यटक जिला उदयपुर में स्थित है। ईडाणा माता मंदिर का नाम ईडाणा उदयपुर मेवल की महारानी के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर में अग्नि स्नान के समय माता की मूर्ति के अलावा सब कुछ जल कर स्वाहा हो जाता है।

ईडाणा माता को वहां के स्थानीय राजा रजवाड़े अपने कुल की कुलदेवी मानते है। माता के मंदिर में भक्त अपनी इच्छा पूर्ण होने पर माता को त्रिशूल चढ़ाने वापस माता के दरबार में आते है और अगर किसी दंपति को संतान नहीं हो रही है तो वो संतान प्राप्ति के लिए माता को झूला चढ़ाते है।

माता के मंदिर की सबसे खास मान्यता यह है कि यहाँ लकवे से पीड़ित रोगी माता के दरबार में आकर ठीक हो जाते है।

ईडाणा माता मंदिर का रहस्य

ईडाणा माता मंदिर में एक महीने में कम से कम 2 से 3 बार और कभी-कभी साल में 3-4 बार भी अग्नि प्रज्वलित होती है। इस प्रज्जवलित अग्नि में माता अग्नि स्नान करती है। इस अग्नि में माता का सारा श्रृंगार, चुनरी और भक्तों के द्वारा चढ़ाया गया प्रसाद सब जल जाता है लेकिन मंदिर में अग्नि से अन्य किसी चीज को नुकसान नहीं होता है। अग्नि स्नान में माता की मूर्ति को कुछ नही होता है वो जैसी थी वैसी ही रहती है।

यह अग्नि आपने आप बुझ जाती है। माता के अग्नि स्नान को देखने के लिए बड़ी संख्या में भक्तो का मेला लगता है। यह अग्नि कहां से और क्यों प्रज्जवलित होती है? इस बात का पता अभी तक कोई नही लगा पाया है। यह अपने आप में एक रहस्य है।

ईडाणा माता मंदिर कहां स्थित है?

ईडाणा माता का चमत्कारिक मंदिर राजस्थान राज्य के प्रसिद्ध पर्यटक जिला उदयपुर में स्थित है। यह चमत्कारिक मंदिर उदयपुर से 60km दूर कुराबड़-बम्बोरा मार्ग पर अरावली की पहाड़ियों में बना हुआ है। ईडाणा माता मंदिर खुले चौक में बना हुआ है इस मंदिर के ऊपर कोई छत नहीं है।

ईडाणा माता मंदिर किस नाम से प्रसिद्ध है?

ईडाणा माता मंदिर का नाम ईडाणा उदयपुर मेवल की महारानी के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर में अग्नि स्नान के समय माता की मूर्ति के अलावा सब कुछ जल कर स्वाहा हो जाता है।

ईडाणा माता अग्नि स्नान कैसे करती है?

ईडाणा माता मंदिर में अग्नि स्वयं ही कभी महीने में कम से कम 2 से 3 बार अपने आप प्रज्जवलित होती है तो कभी पुरे साल में 3-4 बार ऐसा होता है। इस प्रज्जवलित अग्नि में माता अग्नि स्नान करती है। इस अग्नि में माता का सारा श्रृंगार, चुनरी और भक्तों के द्वारा चढ़ाया गया प्रसाद सब जल जाता है लेकिन मंदिर में अग्नि से अन्य किसी चीज को नुकसान नहीं होता है।

अग्नि स्नान में माता की मूर्ति को कुछ नही होता है वो जैसी थी वैसी ही रहती है। यह अग्नि आपने आप बुझ जाती है। माता के अग्नि स्नान को देखने के लिए बड़ी संख्या में भक्तो का मेला लगता है। यह अग्नि कहां से और क्यों प्रज्जवलित होती है? इस बात का पता अभी तक कोई नही लगा पाया है। यह अपने आप में एक रहस्य है।

लकवे से पीड़ित लोग ठीक होने के लिए ईडाणा माता मंदिर क्यों आते है?

माता के मंदिर से भक्तों की अटूट आस्था जुड़ी हुई है, क्योंकि यहां की मान्यता है कि लकवे से पीड़ित रोगी माता के दरबार में आने से ठीक हो जाता है। इसके लिए यहां आपको माता के मंदिर की नियमित फैरी लगानी पड़ती है।

ईडाणा माता मंदिर में आग क्यों लगती है?

माता के मंदिर में आग लगने का कारण तो आज तक कोई नही लगा पाया है लेकिन यहाँ के पुजारी का कहना है कि ईडाणा माता पर अधिक भार होने के कारण माता स्वयं ज्वालादेवी का स्वरूप धारण कर लेती है। मंदिर में अग्नि का विकराल रूप देखने को मिलता है। अग्नि की लपटे 15 से 20 फीट ऊंची उठती है।

ईडाणा माता मंदिर खुले चौक में क्यों बना हुआ है?

ईडाणा माता मंदिर में माता स्वयं प्रज्जवलित अग्नि से अग्नि स्नान करती है। अग्नि स्नान में माता का सारा श्रृंगार और चुनरी स्वाह हो जाती है। मंदिर में प्रज्जवलित होने वाली अग्नि के कारण मंदिर के ऊपर छत नहीं बन पायी है।

ईडाणा माता का अग्नि स्नान देखने से क्या होता है?

माता का अग्नि स्नान देखने के लिए बड़ी संख्या में भक्त माता के मंदिर में आते है। मंदिर की मान्यता ऐसी है कि अगर माता का अग्नि स्नान जो भक्त देखते है उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

ईडाणा माता मंदिर की मान्यता क्या है?

ईडाणा माता को वहां के स्थानीय राजा रजवाड़े अपने कुल की कुलदेवी मानते है। माता के मंदिर में भक्त अपनी इच्छा पूर्ण होने पर माता को त्रिशूल चढ़ाने वापस माता के दरबार में आते है और अगर किसी दंपति को संतान नहीं हो रही है तो वो संतान प्राप्ति के लिए माता को झूला चढ़ाते है। माता के मंदिर की सबसे खास मान्यता यह है कि यहाँ लकवे से पीड़ित रोगी माता के दरबार में आकर ठीक हो जाते है।

ईडाणा माता मंदिर उदयपुर से कितना दूर स्थित है?

ईडाणा माता मंदिर उदयपुर से 60km दूर कुराबड़-बम्बोरा मार्ग पर स्थित है। यह मंदिर अरावली की पहाड़ियों में खोले चौक में बना हुआ है।

ईडाणा माता किसकी कुलदेवी है?

ईडाणा माता स्थानीय राजा रजवाड़े के कुल की कुलदेवी है। यहाँ के राजा रजवाड़े की ईडाणा माता के प्रति असीम विश्‍वास और अटूट आस्था जुडी हुई है।

ईडाणा माता अग्नि स्नान कब करती है?

ईडाणा माता मंदिर में अग्नि स्वयं ही कभी महीने में कम से कम 2 से 3 बार अपने आप प्रज्जवलित होती है तो कभी पुरे साल में 3-4 बार ऐसा होता है। नवरात्री में माता के मंदिर में भक्तो का मेला लगता है।

ईडाणा माता मंदिर में माता का अग्नि स्नान कितने समय में पूरा होता है?

मंदिर में प्रज्जवलित अग्नि 2 से 3 दिन में शांत हो जाती है और अग्नि शांत होते ही मां का अग्नि स्नान संपन्न होता है।

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