भारत-पाकिस्तान सीमा: जल की देवी के रूप में मां जगदंबा की पूजा

भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान बाड़मेर की पश्चिमी सीमा पर पीने के पानी की इतनी कमी थी कि लोगों को पीने का पानी तक नहीं मिलता था. तब वहां के ग्रामीणों और सरपंच ने देवी मां की पूजा की और उनसे एक कुआं खोदने की प्रार्थना की और देवी मां से प्रार्थना की कि अगर इस कुएं में ताजा पानी मिलेगा तो हम जल की देवी के रूप में मां जगदंबा की पूजा करेंगे। देश की आजादी के दौरान पाकिस्तान क्षेत्र के गडरा शहर के निवासी पाकिस्तान छोड़कर भारत के गडरा रोड में बस गये। लेकिन यहां उनकी सबसे बड़ी समस्या पीने के पानी की है।

पानी वाली देवी माता का मंदिर कहाँ स्थित है?

पानी वाली देवी माता का मंदिर राजस्थान के बाड़मेर जिले के पश्चिम में गडरा रोड पर स्थित है। यहां माता जगदंबा को पानी की देवी के रूप में पूजा जाता है क्योंकि मां जगदंबा की कृपा से यहां पानी की समस्या के समाधान के लिए एक कुआं खोदा गया है और वहां से मीठा जल निकला।

मीठे पीने के पानी के लिए कुआँ खोदा गया

गडरा रोड में रहने वाले लोगों और उस गांव के सरपंच ने मां जगदंबा से प्रार्थना करके मीठे पानी के लिए कुआं खोदना शुरू किया। कुएं की खुदाई के दौरान मां की मूर्ति मिली और उस मूर्ति के नीचे मीठा पानी मिला. माँ की प्रतिमा को मंदिर बनाकर मंदिर में स्थापित किया गया और माता को पानी की देवी के रूप में पूजा जाने लगा। उस कुएं के अलावा पूरे इलाके के हर कुएं में खारा पानी हुआ करता था, लेकिन माता की कृपा से इस कुएं में पीने के लिए मीठा पानी निकला।

मीठे पानी का कुआँ किसने खोदा?

लगभग 75 वर्ष पूर्व भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय पाकिस्तान क्षेत्र के गडरा शहर निवासी भूतड़ा परिवार भारतीय क्षेत्र के गडरा रोड में आकर बस गया। यहां उन्हें पीने के पानी की समस्या का सामना करना पड़ा। इसके लिए भूतड़ा परिवार और वहां के सरपंच छोगालाल ने देवी से प्रार्थना कर कुएं की खुदाई शुरू की और माता की कृपा से उसमें से मीठा पानी मिला और खुदाई के दौरान कुएं की मूर्ति भी निकली। जिसे बाद में मंदिर बनाकर स्थापित कर दिया गया और उन्हें पानी की देवी के रूप में पूजा जाने लगा।

लगभग 75 वर्षों से पानी की देवी का प्रसिद्ध मंदिर

गडरा रोड के भूतड़ा परिवार के सदस्य प्रकाश जी का कहना है कि सरपंच छोगालाल ने इसे देवी मां का चमत्कार मानते हुए ग्रामीणों के सहयोग से देवी माता का मंदिर बनवाया और उस दौरान मिली माता की मूर्ति को मंदिर में स्थापित किया। यह मंदिर उस दिन से ही पानी वाली देवी के नाम से प्रसिद्ध है।

नवरात्रि के दौरान देश-विदेश से मंदिर पहुंचते हैं।

ऐसा नहीं है कि केवल भूतड़ा परिवार ही इस मंदिर में आस्था रखता है। इस क्षेत्र के लोग भी इसे चमत्कारी मंदिर मानते हैं और बड़ी श्रद्धा से इसकी पूजा करते हैं। वर्तमान में भूतड़ा परिवार के कई सदस्य गुजरात सहित देश-विदेश में रहते हैं। लेकिन इस मंदिर के प्रति उनकी अटूट आस्था के कारण वे नवरात्रि के दौरान इस मंदिर में पहुंचते हैं। अम्बे पूरी श्रद्धा से देवी मां की पूजा करती हैं।

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *