जगन्नाथ पुरी मंदिर के ऐसे 5 रहस्य जो अब तक अनसुलझे
भगवान जगन्नाथ पुरी का मंदिर विश्व प्रसिद्ध व अलौकिक है। यह मंदिर भगवान श्री विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है।
जगन्नाथ पुरी का मंदिर उड़ीसा के शहर पूरी में स्थित है। बद्रीनाथ धाम को जहा भगवान श्री विष्णु का आठवां बैकुंठ माना जाता है वही जगन्नाथ पुरी धाम को भी धरती का बैकुंठ माना जाता है। 800साल पुराना यह पौराणिक मंदिर अपने आप में अलौकिक है।
भगवान जगन्नाथ पुरी मंदिर में अनेकों ऐसे रहस्य है जिसको विज्ञानिक भी आज तक सुलझा नहीं सके। जगन्नाथ पुरी के मंदिर की बनावट भव्य है तथा काफी बड़ा मंदिर है। यहां की रसोई बड़ी तथा विश्व प्रसिद्ध है।
आइए जानते है जगन्नाथ पुरी के रहस्यो को जिसको वैज्ञानिक सुलझा नहीं सके
1. हवा के उल्टी दिशा में लहराता ध्वज
समुद्री तट पर माना जाता है कि दिन के समय हवा समुद्र से धरती की तरफ चलती है और शाम को धरती से समुद्र की तरफ हवा चलती है लेकिन जगन्नाथ पुरी मंदिर पर यह प्रक्रिया उल्टी है। जगन्नाथ पुरी मंदिर का झंडा हमेशा हवा की दिशा के विपरीत लहराता है।
हवा का रुख जिस दिशा में होता है झंडा उसकी दूसरी दिशा में लहराता है। इसका कारण अभी तक कोई वैज्ञानिक नही लगा पाया है। यहां के भक्तो का मानना है कि ये सब भगवान की लीला है।
2. विश्व की सबसे बड़ी तथा चमत्कारिक रसोई
यहां पर आने वाले भक्तो का कहना है कि जगन्नाथ मंदिर की रसोई रहस्यो तथा चमत्कार से प्रसिद्ध है। जगन्नाथ मंदिर में दुनिया की सबसे बड़ी रसोई है। रसोई का रहस्य ये है कि यहां भगवान का प्रसाद पकाने के लिए सात मिट्टी के बर्तन एक के ऊपर एक रखे जाते हैं।
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ये बर्तन मिट्टी के होते हैं जिसमे प्रसाद चूल्हे पर ही पकाया जाता है। आश्चर्य की बात ये है कि इस दौरान सबसे ऊपर रखे बर्तन का पकवान सबसे पहले पकता है फिर नीचे की तरफ से एक के बाद एक प्रसाद पकता जाता है। इस रसोई में बनने वाला प्रसाद कभी न तो कम पड़ता है और न ही बचता है चाहे लाखों भक्त आ जाएं लेकिन भगवान के चमत्कार से प्रसाद कभी कम नहीं पड़ता और न व्यर्थ जाता है। मंदिर के बंद होते ही प्रसाद भी खत्म हो जाता है। ये सब कैसे होता है यह सोचने का विषय है।
3. कभी नहीं दिखती मंदिर की छाया
जगन्नाथ मंदिर 214 फीट ऊंचा तथा करीब 4 लाख वर्ग फीट के क्षेत्रफल में बना हुआ है। वैज्ञानिकों के अनुसार या वैज्ञानिक धारणाओं के अनुसार किसी भी पक्षी,पेड़,जानवर,वस्तु या इंसान की परछाई पड़ना तो विज्ञान का नियम है लेकिन भगवान जगन्नाथ के मंदिर का ऊपरी हिस्सा विज्ञान के नियमो को चुनौती देता है।
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मंदिर के ऊपरी हिस्से की छाया हमेशा अदृश्य रहती है। वैज्ञानिक अभी तक इस बात का पता नही लगा पाए की मंदिर के ऊपरी हिस्से की छाया क्यों नही बनती है।
4. मंदिर पर कोई पक्षी नजर नहीं आता
आमतौर पर हमे देखने में आता है कि किसी भी मंदिर , मज्जिद या बड़ी बड़ी इमारतों पर पक्षी बैठे रहते है लेकिन भगवान जगन्नाथ मंदिर के ऊपर न कोई पक्षी बैठता है और न ही कोई प्लेन मंदिर के ऊपर से उड़ता है। यह भी एक सोचने का विषय है कि क्यों कोई पक्षी मंदिर पर नहीं बैठता है।
5. हर 12 साल बाद मंदिर की मूर्तियां बदली जाती है
भगवान जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलदेव और सुभद्रा तीनों की मूर्ति है। इन तीनों मूर्तियों को हर 12 साल बाद बदला जाता है इनकी जगह नई मूर्तियां स्थापित की जाती हैं। मूर्तियां बदलते समय मंदिर के आसपास की बिजली काट ली जाती है तथा मंदिर के चारो तरफ अंधेरा किया जाता है मंदिर के बाहर जवानों की सुरक्षा तैनात कर दी जाती है। सिर्फ मूर्ति बदलने के लिए वहा के पुजारी को ही अंदर जाने दिया जाता है।
इस तरह से भगवान जगन्नाथ मंदिर रहस्यो से भरपूर है। यह मंदिर विश्व प्रसिद्ध तथा बड़ा है। यह मंदिर विज्ञान के नियमो को चुनौती देता है।