Kajari Teej माता की व्रत कथा और पूजा विधि
कजरी तीज की व्रत कथा | kajari Teej Katha
पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि एक छोटे से गांव में एक ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी उसके साथ रहती थी। ब्राह्मण की पत्नी ने भाद्रपद तीज के दिन तीज माता का व्रत किया। ब्राह्मण ने ब्राह्मणी से कहा कि मैंने आज तीज माता का व्रत किया है, इसके लिए मुझे चने का सत्तू चाहिए।
इस पर ब्राह्मण ने कहा, अब चने का सत्तू कहां से लाऊं। लेकिन ब्राह्मणी ने कहा कि मुझे चने का सत्तू चाहिए, चाहे तुम चोरी से लाओ या डकैती से। मुझे चने का सत्तू चाहिए।
रात्रि के समय एक ब्राह्मण घर से निकलकर साहूकार की दुकान में चने का सत्तू लाने के लिए गया। उसने साहूकार की दुकान से चने की दाल, घी और चीनी ली और सवा किलो तोल लिया। फिर इन सभी से सत्तू बनाया।
जैसे ही वो जाने लगा वैसे ही आवाज सुनकर दुकान के सभी नौकर जाग गए। सभी जोर-जोर से चोर-चोर चिल्लाने लगे। नोकरों के चिल्लाने की आवाज सुनकर साहूकार आया और ब्राह्मण को पकड़ लिया।
पकड़ मे आने के बाद ब्राह्मण ने कहा कि वो चोर नहीं है। वो एक एक गरीब ब्राह्मण है। उसकी पत्नी ने तीज माता का व्रत किया है इसलिए सिर्फ यह सवा किलो का सत्तू बनाकर ले जाने आया था। जब साहूकार ने ब्राह्मण की तलाशी ली तो उसके पास से सत्तू के अलावा और कुछ नहीं मिला।
उधर चांद निकल गया था और ब्राह्मणी सत्तू का इंतजार कर रही थी। साहूकार ने ब्राह्मण से कहा कि आज से वो उसकी पत्नी को अपनी धर्म बहन मानेगा। उसने ब्राह्मण को सत्तू, गहने, रुपए, मेहंदी, लच्छा और बहुत सारा धन देकर दुकान से विदा कर दिया।
फिर सबने मिलकर कजरी माता की पूजा की। जिस तरह से ब्राह्मण के दिन सुखमय हो गए ठीक वैसे ही कजरी माता की कृपा सब पर बनी रहे।
कजरी तीज की पूजा विधि (kajari teej Pujan Vidhi)
कजरी तीज के दिन सुहागिन महिलाओ को सुबह जल्दी उठकर एक बार पानी पीके और कुछ खाके व्रत की शुरुआत करती है इस क्रिया को ‘जबोली’ कहते है।
इसके बाद महिलाए सोना चाहे तो सो सकते है फिर सुबह अपने नियमित समयानुसार जागकर नहाना चाहिए। जबोली करने के बाद महिलाए पानी नहीं पी सकती है अर्थात निर्जल व्रत रखना पड़ता है। अगर महिला गर्भवती है तो वो कुछ फलाहार कर सकती है।
कजरी तीज के दिन महिलाए निमाड़ी माता की पूजा करती है। इसके बाद नीमाड़ी माता को जल, रोली और अक्षत यानी चावल चढ़ाती है। उसके बाद नीमाड़ी माता को मेंहदी और रोली लगाती है। माता को काजल और वस्त्र अर्पित करें और फल-फूल चढ़ाएं, सारा श्रृ्गांर का सामान चढ़ाना चाहिए।
उसके बाद माता पार्वती और भगवान शिव की पूजी भी करनी चाहिए। इसके बाद घर में मौजूद सभी बड़ी महिलाओं के पैर छूकर आशीर्वाद लेने चाहिए। रात में चांद निकलने से पहले पूरा श्रृंगार कर लें। इसके बाद हाथ में गेहूं के दाने लेकर चंद्रमा को अर्घ्य दें और भोग चढ़ाएं। फिर उसी स्थान पर घूमकर चार बार परिक्रमा करें। इसके बाद आप अपना व्रत खोल सकते हैं।
कजरी तीज में चने का सत्तू बनाने की विधि क्या है?
चने का सत्तू बनाने में आवश्यक सामग्री
भुने चने छिलके निकले हुए -1 कप,
चीनी पाउडर-1/2 कप,
घी- 1/2 कप,
काजू बारीक कटे- 6-7, बादाम बारीक कटे- 6-7,
इलायची पाउडर
चने का सत्तू बनाने की विधि
आधा कप घी गर्म कड़ाई में डालकर उसको चूल्हे पर गर्म होने दे, गरम होने के बाद इसमें कटे हुए काजू-बादाम दाल दे। थोड़ी देर इनको सेक ले, अब इसमें सत्तू डाल दे फिर इसको लगातार हिलाते रहे। तब तक जब तक सत्तू अच्छे से भून न जाये। भून जाने के बाद गैस बंद कर दे फिर ठंडा होने के बाद इसमें चीनी मिलकर इसको लड्डू की तरह गोल बना दे
कजरी तीज का व्रत महिलाओ को क्यो करना चाहिए?
कजरी तीज या कजरी तीज का व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत रखती हैं और कुंवारी लड़कियां अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं।
काजली(कजरी) तीज व्रत 2023 मे कब है?
कजरी तीज 2 सितम्बर 2023 को है।
कजरी तीज कब मनाई जाती है?
भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की तीज को
कजरी तीज में किसकी पूजा की जाती है?
भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा।
कजरी तीज का व्रत कौन कर सकता है?
हिंदू धर्म की सभी विवाहित महिलाएं सौभाग्य प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं।