मीनाक्षी मंदिर का इतिहास और वैज्ञानिक तथ्य? Meenakshi Temple
दक्षिण भारत में स्थित मीनाक्षी मंदिर विश्व के सबसे सुंदर, अदभुत और रहस्यमई मंदिरों में अपनी विशेष पहचान और मजबूत पक्ष रखता है। यह ऐतिहासिक मंदिर विश्व के अमीर मंदिरों की श्रेणी में अपना स्थान रखता है। यह ऐतिहासिक मंदिर भगवान सुंदरेश्वर और देवी मीनाक्षी को समर्पित है।
कहां स्थित है मीनाक्षी मंदिर?
हमारे देश भारत के तमिलनाडु राज्य के मदुरै शहर में एक ऐतिहासिक मीनाक्षी मंदिर है। मीनाक्षी मंदिर को मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर या मीनाक्षी अम्मन मंदिर के नाम से भी जाना जाता है
मीनाक्षी मंदिर का इतिहास (Meenakshi Temple History)
इस मंदिर का इतिहास का अभी तक स्पष्ट उल्लेख कही नही किया हुआ है लेकिन इतिहासकारों का ऐसा मानना है कि मंदिर का निर्माण 2000 साल पहले शुरू हुआ था। तमिल साहित्य में भी दो दशकों से मंदिर के इतिहास के बारे में बाते हो रही है।
वर्तमान में जिस स्वरूप में मंदिर बना हुआ है उसका निर्माण 1623 और 1655 ई. के बीच में किया गया था। लेकिन कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण छठीं शताब्दी में कंदम के उतरवियों ने करवाया था। इस मंदिर को मुगल सेनापति मलिक काफूर ने 14वी शताब्दी में लूट लिया था और मंदिर को काफी नुकसान पहुंचाया था। बाद में वहां के राजा और प्रजा ने इस मंदिर को पुन: बनवाया था।
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इस मंदिर के अंदर बहुत ही सुंदर गलियारा है जिसके मध्य में रानी मंगम्मल ने मीनार्ची नायकर मंडपम को बनवाया था। मंदिर के निर्माण के लिए पांडियांन राजाओं ने अपनी प्रजा से धन इकट्ठा किया था।
मीनाक्षी मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य
1. यह ऐतिहासिक मंदिर लगभग 15 एकड़ क्षेत्रफल में फैला हुआ है। 15 एकड़ के क्षेत्रफल में अलग अलग भगवान के छोटे छोटे मंदिर बने हुए है।
2. इस मंदिर के भ्रमण के दौरान आपको मंदिर में 14 गोपुरम देखने को मिलेंगे जिसकी औसतन ऊंचाई 45-50 मीटर के मध्य की है। इसमें से सबसे बड़ा गोपुरम जिसकी ऊंचाई करीब 52 मीटर की है वो मंदिर के दक्षिण भाग में स्थित है।
3. मंदिर में विभन्न प्रकार की नक्काशी किए हुए बहुत सारे स्तम्भ है जिसकी संख्या 1000 से अधिक है। इनमे से 8 स्तम्भो पर माता लक्ष्मी की मूर्तियां
4. मंदिर के गर्भगृह को 3000 साल से भी ज्यादा पुराना बताया जाता है। मंदिर का सबसे पुराना भाग मंदिर का गर्भगृह है।
5. मंदिर के गोपुरमों के ऊपर कुल मिलाकर 33,000 देवताओं को मूर्तियां बनाई गई है।
6. प्रति सप्ताह के शुक्रवार के दिन देवी मीनाक्षी और भगवान सुंदरेश्वर की स्वर्ण से बनी प्रतिमाओं को झूले में जुलाया जाता है इसके दर्शन के लिए हर शुक्रवार को हजारों की संख्या में भक्त मंदिर में आते है।
7. मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा में बताया गया है कि भगवान शिव सुंदरश्वर के रूप में यहां के राजा मल्यध्वज की पुत्री मीनाक्षी जिसको माता पार्वती का रूप माना जाता है, से शादी करने के लिए इस शहर में पधारे थे।
8. मंदिर के अंदर पवित्र सरोवर स्वर्णकमल भी बना हुआ है। इसके मध्य में स्वर्ण का कमल बना हुआ है। इस सरोवर की लंबाई 165 फीट और चौड़ाई 120 फीट की हैं।
9. मंदिर के अंदर चांदी से जड़ित भगवान विशाल नटराज की मूर्ति भी स्थित है।
10. देवी मीनाक्षी और भगवान सुंदरेश्वर का मंदिर साथ साथ बना हुआ है इसीलिए दोनो मंदिरों को जुड़वां मंदिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर के ऊपर सोने की परत चढ़ाई हुई है।
मीनाक्षी मंदिर के बारे में कुछ वैज्ञानिक तथ्य
यहां हम आपको मीनाक्षी मंदिर के ऐसे वैज्ञानिक तथ्यों को बताएंगे जो प्राचीन काल में भारत के इंजीनियरिंग, वास्तुकला और खगोल विज्ञान के ज्ञान को दर्शाता है।
1. वास्तुशिल्प डिजाइन
यह मंदिर अपनी विस्तृत और अलंकृत वास्तुकला के लिए पहचाना जाता है। मंदिर की यह वास्तुकला दक्षिण भारतीय शैली द्रविड़ शेली का अनुसरण करती है।
2. ध्वनिकी
मंदिर में ध्वनि का ऐसा डिजाइन बना हुआ है जिससे मंदिर की ध्वनि पूरे मंदिर में गूंजती है। पूरे मंदिर में ध्वनि गूंजने का सबसे बड़ा कारण मंदिर में स्तंभों और वास्तुकला की सावधानीपूर्वक नियुक्ति है।
3. खगोलीय संरेखण
मंदिर की बनावट में खगोलीय संरेखण को ध्यान में रखा गया है। मंदिर का मुख्य गर्भगृह वसंत विषुव पर सूर्योदय के साथ संरेखित होती है और मंदिर का मुख्य प्रवेशद्वार उसी दिन सूर्यास्त के साथ संरेखित होता है।
4. जल प्रबंधन प्रणाली
मंदिर के अंदर व्यवस्थित जल प्रणाली बनाई हुई है। इस जल प्रणाली में मंदिर में जल का उपयोग और सिंचाई के लिए जल की आपूर्ति के लिए टैंक और चैनल बनाए गए है।
5. संरक्षण तकनीकी
इस मंदिर को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल माना जाता है। मंदिर की वास्तुकला और संरचना को सुदृढ़ बनाए रखने के लिए पारंपरिक निर्माण सामग्री और तकनीकों के साथ साथ आधुनिक तकनीकों का उपयोग शामिल किया गया है।
मीनाक्षी मंदिर में दर्शन करने के साथ साथ इन बातों को जानना जरूरी है ।
मीनाक्षी मंदिर कब व किसने बनाया था?
मीनाक्षी मंदिर का निर्माण वहां के राजा कुलशेखर पांडियन ने करवाया था।
मीनाक्षी मंदिर में कौनसे भगवान है?
मीनाक्षी मंदिर देवी पार्वती मीनाक्षी रूप में और भगवान शिव सुंदरेश्वर के रूप में पूजे जाते है।
मीनाक्षी मंदिर में दर्शन करने का क्या समय है?
मंदिर में दर्शन का समय
सुबह में 5.00 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक होता है फिर मंदिर के पट बंद हो जाता है। फिर शाम को 4.00 बजे मंदिर खुलता है तो शाम को दर्शन का समय 4.00 बजे से रात 9.00 बजे तक का होता है।