मीरा बाई का अद्भुत चमत्कार | मीरा बाई के लिए श्री कृष्ण ने स्त्री रूप धारण किया
कलियुग में भगवान श्री कृष्ण के कई भक्त हैं, लेकिन मीराबाई भक्ति काल की ऐसी कृष्ण भक्त हैं, जिनका पूरा जीवन श्री कृष्ण को समर्पित था। कृष्ण के प्रति उनका प्रेम इस हद तक था कि उन्होंने कृष्ण को अपना पति मान लिया था। अपने भगवान के प्रति ऐसी श्रद्धा और जुनून कम ही देखने को मिलता है। लेकिन कुछ लोगों के लिए अपने भगवान के प्रति यह भक्ति शरीर, मन और भावनाओं से परे एक ऐसी जगह तक पहुंच जाती है जो बिल्कुल अविश्वसनीय है जहां उनके लिए उनका भगवान ही अंतिम सत्य बन जाता है।
ऐसी अटूट श्रद्धा वाले भक्तों में से एक भक्त है मीराबाई, जो कृष्ण की बहुत बड़ी भक्त थीं जिन्होंने कृष्ण को अपना पति मान लिया था। आज हम आपको उनके और कृष्ण के बीच की एक दिलचस्प कहानी बताएंगे जिसमें स्वयं श्री कृष्ण ने अपने परम भक्त का मान रखने के लिए स्वयं स्त्री का रूप धारण किया था।
मीरा बाई के लिए श्री कृष्ण ने स्त्री रूप धारण किया
कृष्ण भक्त मीरा बाई का विवाह मेवाड़ के महाराणा सांग के पुत्र भोजराज से हुआ था, लेकिन मीरा बाई कृष्ण को अपना पति मानती थीं। जब उनके पति की मृत्यु हो गई, तो उनके ससुराल वाले उनकी कृष्ण भक्ति के कारण उन्हें प्रताड़ित करते थे। जब उनके पति की मृत्यु हो गई, तो उनके अत्याचार चरम पर पहुंच गए। जिसके कारण मीरा बाई मेवाड़ छोड़कर अपने माता-पिता के घर लौट आईं और वहाँ से घुमते घुमते भगवान कृष्ण की नगरी वृन्दावन आ गईं।
जीव गोसाईं वृन्दावन में वैष्णव संप्रदाय के मुखिया थे, इसीलिए मीरा बाई उनसे मिलना चाहती थीं लेकिन उन्होंने मना कर दिया। और कहा कि मैं किसी स्त्री के सामने नहीं जाता, तब मीरा बाई ने उन्हें संदेश भेजा कि इस कृष्णनगरी में सब महिलाएं और यहां पुरुष है तो केवल भगवान कृष्ण हैं। मुझे आज पता चला की यहाँ श्री कृष्णा के अलावा एक और भी पुरुष है।
प्रातकाल जब भगवान् कृष्ण के मंदिर के कपाट जीव गोसाईंजी ने खोले तो मंदिर में कृष्ण भगवान् के रूप को देखकर उनकी आखे फटी की फटी रह गयी। मंदिर में विराजमान भगवान कृष्ण की मूर्ति घाघरा चोली पहने हुए, कानो में कुण्डल, नाक में नथ पहने सम्पूर्ण स्त्रीरूप में थी।
जिव गोसाई ने मंदिर के सेवक को आवाज लगाई और पूछा की किसने किया है यह सब ?
सेवक बोलै- पुजारी जी भगवान् कृष्णा की सौगंध आपके बंद किये हुए कपाट को आपके अलावा किसी ने नहीं खोला है। यह सुनकर पुजारी जी आश्र्यचकित हो गए।
तब सेवक बोला- अगर आपकी आज्ञा हो तो एक बात बोलू।
पुजारी- हा बोलो।
सेवक- वृन्दावन में धर्मशाला में एक महिला आयी हुई है जो कल आपसे मिलाना चाहती थी। और आप तो किसी महिला से मिलते हो नहीं इसीलिए आपने मना कर दिया था परन्तु लोग कहते है की वो परम कृष्ण भक्त है उनके भजनो में जादू है। वो कोई साधारण महिला नही उनके एकतारे में बड़ा जादू हैं कहते हैं वो जब भजन गाती हैं तो हर कोई अपनी सुधबुध खो देता हैं। जब वह कृष्ण की भक्ति पर नृत्य करती हैं तो उनमे स्वयं कृष्ण का रूप देखने को मिलता है। जब आपने उनसे मिलने का मना किया तभी तो हो सकता है भगवान श्री कृष्ण, आपसे कुछ कहना चाहते हैं?
सेवक की बात जीव गुसाईं को तुरंत समझ आ गई कि उसने मीरा बाई से न मिलकर बहुत बड़ी गलती की है। मीरा बाई कोई साधारण महिला भक्त नहीं हैं, वह कृष्ण की परम भक्त हैं।
जीव गुसाईं ने कहा- मैं तुरंत उनसे मिलना चाहता हूं। मुझे बताओ कि वह परम कृष्ण भक्त कहाँ ठहरी है? मैं खुद उनसे मिलने जाऊंगा।
जीव गुसाईं मीरा जी के सामने नतमस्तक हो गये और भरे कंठ से मीरा बाई से बोले कि देवी आज आपने मुझे भक्ति का सच्चा स्वरूप और उसे करने का तरीका बताया है, इसके लिए मैं सदैव आपका आभारी रहूँगा। और कहा, मन्दिर में आकर अपनी कृष्ण प्रेम भक्ति का स्वरूप देखो।
मीरा बाई मुस्कुराते हुए और अपने पीछे कृष्ण का नाम जपते हुए मंदिर की ओर चलने लगीं। जब जीव गोसाईं मंदिर पहुंचे, तो उन्हें यह देखकर एक बार फिर आश्चर्य हुआ कि भगवान की मूर्ति अपने पुराने रूप में वापस आ गई थी। लेकिन एक और आश्चर्य हुआ, कभी उन्हें कृष्ण की मूर्ति में मीरा बाई के दर्शन होते थे तो कभी उन्हें मीरा बाई में कृष्ण के दर्शन होते थे।
मीरा बाई से जुड़े और भी अद्भुत चमत्कार हैं जो उन्होंने भगवान कृष्ण के प्रति समर्पित रहते हुए किए। मीराबाई का मुख्य मंदिर राजस्थान में स्थित है।