नवरात्र का पांचवें दिन: स्कंदमाता माता पूजा विधि Navratri 2023
शारदीय नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा की स्कंदमाता के स्वरुप की पूजा एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इस पूजा का महत्व कई कारणों से है, जैसे यह शक्ति और साहस का प्रतीक है, बच्चों की रक्षा के लिए मानी जाती है और सांसारिक सुख-समृद्धि प्राप्त करने के लिए इसकी पूजा की जाती है। यह पूजा भगवान विष्णु के द्वारकेवासिनी रूप के रूप में भी मनाई जाती है और जीवन में सफलता की दिशा में मार्गदर्शन करती है।
स्कंदमाता माता का पूजा मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
स्कंदमाता की पूजा में आवश्यक सामग्री:
आसन (कुशन या कपड़ा)
माँ दुर्गा की मूर्ति या छवि
रंगों की थाली
गौघृत या पानी
दीपक (घी मिट्टी से बना हुआ)
अगरबत्तियां
सुपारी, कोयला, घी, चावल
धूप, दीप और माचिस
सिन्दूर, कुमकुम, हल्दी, अदरक, अखरोट
फूल, मिठाइयाँ, पूजा के पत्ते, फल
माला, धागा, मोती
स्कंदमाता माता की पूजा विधि-
स्वच्छता:
मां स्कंदमाता की पूजा के लिए आप सफ़ेद रंग के वस्त्र पहनने चाहिए फिर पूजा स्थल को शुद्ध करके आसन पर बैठें।
मां स्कंदमाता की प्रतिमा:
इसके बाद पवित्र स्थान पर मां स्कंदमाता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। और अच्छे वस्त्रों से सजाएं।
ध्यान और भक्ति:
मां स्कंदमाता का ध्यान करें और उनसे हाथ जोड़कर प्रार्थना करें साथ ही श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए।
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हिंदू पूजा अनुष्ठान:
इसके बाद अपने पुरे परिवार के साथ मिलकर मां स्कंदमाता की कथा सुनें, आरती करें, और अन्त में क्षमा याचना करें।
प्रसाद:
मां स्कंदमाता को प्रसाद के रूप में फूल, अखरोट, फल, मिठाई और दक्षिणा चढ़ाएं। माँ को केले का भोग चढ़ाना चाहिए क्युकी केले का भोग माता को बहुत ज्यादा पसंद है। प्रसाद चढाने के बाद, आप जो भी भोग मां को लगाते हैं, उसे अपने परिवार के सभी सदस्यों और पड़ोसियों में बांटें।
शाम की आरती:
इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें और पूजा के समापन के बाद प्रसाद लेना न भूले। दिन के दिन के अंत में, संध्या आरती करें और मां स्कंदमाता से प्रार्थना करें।