नवरात्र का चौथा दिन: कूष्मांडा माता पूजा विधि Navratri 2023

शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है कि जो भक्त सच्ची श्रद्धा और पूरे विधि-विधान से देवी मां की पूजा करते हैं, उनके जीवन में खुशियां आती हैं और उनकी उन्नति और प्रसिद्धि बढ़ती है और उनके सभी रोग नष्ट हो जाते हैं।

कूष्मांडा माता का पूजा मंत्र:

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

कूष्मांडा माता की पूजा विधि-

स्वच्छता:

मां कूष्मांडा की पूजा के लिए आप हरे या नारंगी रंग के वस्त्र प्रयोग कर सकते हैं घर या मंदिर को अच्छी तरह साफ सुथरा कर लें। और देवी की पवित्रता के लिए घर को अच्छे से नारंगी या पीले फूलों से सजाएं।

पूजा सामग्री:

देवी माँ को लाल या पीले रंग के फूल चढ़ाने के साथ ही आप घी का या तिल के तिल का दिया जलाकर रखें। माँ को अक्षत, कुमकुम, तिलक लगाएं। अगर आप श्रृंगार अर्पित करना चाहते हैं तो श्रृंगार भी अर्पित कर सकते हैं। पान, सुपारी, इलच जो भी आपके पास हो श्रद्धा पूर्वक अर्पित करें।

मां कूष्मांडा की प्रतिमा:

इसके बाद पवित्र स्थान पर मां कूष्मांडा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। कलश स्थापना अगर आपने की है या अखंडज्योत जलाकर रखी है तो आपको कलश की और अखंडजोत की भी पूजा करनी चाहिए

ध्यान और भक्ति:

मां कूष्मांडा का ध्यान करें और उनसे प्रार्थना करें साथ ही श्री दुर्गा सप्तशती के पांचवें, छठें, और सातवें अध्याय का पाठ करना चाहिए।

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हिंदू पूजा अनुष्ठान:

इसके बाद अपने पुरे परिवार के साथ मिलकर मां कूष्मांडा की कथा सुनें, आरती करें, और अन्त में क्षमा याचना करें।

प्रसाद:

कुष्मांडा माता को पूजा के बाद पेठे से बनी मिठाइयों का भोग लगाना है और साबूत पेठा भी अर्पित कर सकते है। पूजा के बाद, आप जो भी भोग मां को लगाते हैं, उसे अपने परिवारजनों में बांटें। आप चाहें तो किसी कुंवारी कन्या को भी प्रसाद स्वरूप दे सकते हैं।

व्रत शाम की आरती:

इस दिन भोग-विलास से बचें और केवल फल, मिठाई आदि का ही सेवन करें। पूजा के दिन के अंत में, संध्या आरती करें और मां कुष्मांडा से प्रार्थना करें।

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