Pitru Paksha 2023: पितृ तर्पण विधि क्या है और श्राद्ध पक्ष में कैसे करे
अपने पूर्वजों को खुश करने के लिए और उनकी आत्मा को शांति देने के लिए पितृपक्ष या श्राद्धपक्ष में पिंडदान तर्पण विधि से करना चाहिए। श्राद्ध पक्ष में पिंडदान तर्पण विधि से करने से अपने पूर्वज खुश होते है और अपने को आशीर्वाद देते है।
आइए जानते है कि पिंडदान की तर्पण विधि में पूजा सामग्री क्या होती है और इसके मंत्र क्या है?
Pitru Paksha Shradh 2023
हर वर्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा से पितृपक्ष की शुरुआत होती है और इसका समापन आश्विन मास की अमावस्या को होता है। श्राद्ध पक्ष हिंदू पंचांग की तिथिनूसार 16 दिन चलता है। इन सोलह दिनों में लोग अपने पूर्वजों की आत्मा को शांति देने के लिए या उनको खुश करने के लिए श्राद्ध और तर्पण करते है। तर्पण विधि से श्राद्ध पक्ष में पूर्वजों का श्राद्ध करने से पूर्वज अपने वंशजों को खुश रहने का आशीर्वाद देते है। 16 दिन तक चलने वाले श्राद्ध में हमारे पूर्वज कौए के रूप में धरती पर आते है और अपने वंशजों के द्वारा दिए हुए श्राद्ध को स्वीकार करते है।
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श्राद्ध पक्ष में अपने पूर्वजों की आत्मा को शांति और उनको खुश करने के लिए हमें उनका पिंडदान तर्पण विधि से करना चाहिए। आइए जानते है कि तर्पण विधि को विधिवत नियमानुसार कैसे करें और इसने इस्तेमाल होने वाली सामग्री क्या है?
तर्पण सामग्री सूची श्राद्ध पक्ष 2023 (Tarpan Samagri Pitru Paksha 2023)
पितृपक्ष में तर्पण विधि से पिंडदान करने के समय तिल, शुद्ध जल, सबूत चावल, कुशा, और गंगाजल आदि का उपयोग होता है। पितृपक्ष में तर्पण देते समय तिल, जल, चावल, कुशा, गंगाजल आदि का प्रयोग किया जाता है। और श्राद्ध में पितरों को खुश करने के लिए केला, सफेद पुष्प, उड़द, गाय का दूध, घी, खीर, चावल, जौ, मूंग आदि का उपयोग करते है।
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तर्पण विधि पितृपक्ष 2023 (Tarpan Vidhi Pitru Paksha 2023 )
शास्त्रों के अनुसार 16 दिनों तक यानि 29 सितंबर से 14 अक्टूबर तक हर दिन सुबह स्नान करके अपने पितरों को तर्पण देना अनिवार्य है। तर्पण विधि के अनुसार
1. सबसे पहले सुबह स्नान-ध्यान करके हाथों में कुश, अक्षत, जल, फूल और काले तिल लेकर अपने पितरों का नाम लें।
2. पितरों का नाम लेते हुए हाथ के अंगूठे से जमीन पर 5-7 या 11 बार पवित्र जल की धार गिराए।
3. इसके बाद अपने पितरों से अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगनी चाहिए और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद लेना चाहिए।
4. पानी की धार देते समय इन मंत्रों का भी जाप करें-
तर्पण विधि करते समय बोले जाने वाले मंत्र
1. पितृभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।
पितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।।
प्रपितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।
सर्व पितृभ्यो श्र्द्ध्या नमो नम:।।
2. ॐ नमो व :पितरो रसाय नमो व:
पितर: शोषाय नमो व:
पितरो जीवाय नमो व:
पीतर: स्वधायै नमो व:
पितर: पितरो नमो वो
गृहान्न: पितरो दत्त:सत्तो व:।।