श्री राम जन्मभूमि मंदिर का संघर्षपूर्ण इतिहास? Ram Mandir History

राम जन्म भूमि अयोध्या|Shri Ram Janmbhoomi

हमारे भगवान श्री राम का जन्म अयोध्या में महाराज दशरथ के घर में हुआ था। अयोध्या भारत में उत्तरप्रदेश राज्य में स्थित है। भगवान श्री राम के जन्मभूमि पर मंदिर बनाने के लिए सालो से हमारे हिंदू धर्म के लोग संघर्ष कर रहे थे। कही युद्ध  तथा कही दंगे भी हुए।

राम जन्मभूमि पर भगवान श्री राम का मंदिर बनाना हमारा स्वाभिमान है। अनेकों लोगों के प्रयासों तथा संघर्षो से राम जन्मभूमि पर भगवान श्री राम का मंदिर बनाने का फैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाया गया। 

श्री राम मंदिर कहाँ बन रहा है?

भगवान श्री राम का भव्य मंदिर उत्तरप्रदेश राज्य के अयोध्या नगरी भगवान् राम की जन्मभूमि पर बन रहा है। राम जन्मभूमि पर भगवान श्री राम का मंदिर बनाना हमारा स्वाभिमान है।

श्री राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला 

हमारे देश का सबसे लंबा चलने वाले केस में से एक केस श्री राम जन्मभूमि का था। राम जन्मभूमि विवाद के लिए 5 जजों की एक संवैधानिक बैंच बनाई गई।

सरकार ने इस अहम फैसले से पहले सीजेआई गोगोई को जेड प्लस सुरक्षा दी। जबकि, 4 अन्य जजों की सुरक्षा बढ़ाई गई। जजों के घर पर भी अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी लगाए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के बाहर भारी मात्रा में सुरक्षाबल तैनात किया गया।

श्री राम जन्मभूमि का ऐतिहासिक फैसला 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने 9 नवंबर 2019 को सुनाया। राम मंदिर के इतिहास में 5 अगस्त 2020 का दिन सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया। 5 अगस्त को भगवान श्री राम के मंदिर का भूमि पूजन किया गया।

1528 से लेकर 2020 तक यानी 492 साल के इतिहास में कई मोड़ आए। कुछ मील के पत्थर भी पार किए गए।

सुप्रीम कोर्ट में श्री राम जन्मभूमि का फैसला सुनाने वाली टीम में कौन कौन था?

सुप्रीम कोर्ट ने श्री राम जन्मभूमि का विवाद सुलझाने के लिए 5 जजों की सवैधानिक टीम गठित की। सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संवैधानिक बैंच के अध्यक्ष चीफ जस्टिस रंजन गोगोई थे इनकी बैंच में जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल रहे।

श्री राम जन्मभूमि बनाने के लिए आंदोलन का इतिहास? 

श्री राम जन्मभूमि बनाने के लिए आंदोलन का इतिहास और हमारे हिन्दू समुदाय के लोगों ने क्या क्या संघर्ष किये?

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद क्या था?

साल 1528: मुगल बादशाह बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने (विवादित जगह पर) एक मस्जिद का निर्माण कराया। इसे लेकर हिंदू समुदाय ने दावा किया कि यह जगह भगवान राम की जन्मभूमि है और यहां एक प्राचीन मंदिर था। हिंदू पक्ष के मुताबिक मुख्य गुंबद के नीचे ही भगवान राम का जन्मस्थान था। बाबरी मस्जिद में तीन गुंबदें थीं।

साल 1853-1949 तक: 1853 में इस जगह के आसपास पहली बार दंगे हुए। 1859 में अंग्रेजी प्रशासन ने विवादित जगह के आसपास बाड़ लगा दी। मुसलमानों को ढांचे के अंदर और हिंदुओं को बाहर चबूतरे पर पूजा करने की इजाजत दी गई।

साल 1949: असली विवाद शुरू हुआ 23 दिसंबर 1949 को, जब भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गईं। हिंदुओं का कहना था कि भगवान राम प्रकट हुए हैं, जबकि मुसलमानों ने आरोप लगाया कि किसी ने रात में चुपचाप मूर्तियां वहां रख दीं। यूपी सरकार ने मूर्तियां हटाने का आदेश दिया, लेकिन जिला मैजिस्ट्रेट (डीएम) केके नायर ने दंगों और हिंदुओं की भावनाओं के भड़कने के डर से इस आदेश को पूरा करने में असमर्थता जताई। सरकार ने इसे विवादित ढांचा मानकर ताला लगवा दिया।

साल 1950: फैजाबाद सिविल कोर्ट में दो अर्जी दाखिल की गई। इसमें एक में रामलला की पूजा की इजाजत और दूसरे में विवादित ढांचे में भगवान राम की मूर्ति रखे रहने की इजाजत मांगी गई। 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने तीसरी अर्जी दाखिल की।

साल 1961: यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अर्जी दाखिल कर विवादित जगह के पजेशन और मूर्तियां हटाने की मांग की।

साल 1984: विवादित ढांचे की जगह मंदिर बनाने के लिए 1984 में विश्व हिंदू परिषद ने एक कमिटी गठित की।

श्री राम जन्भूमि पर पूजा करने की इजाजत कब मिली?

साल 1986: यूसी पांडे की याचिका पर फैजाबाद के जिला जज केएम पांडे ने 1 फरवरी 1986 को हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत देते हुए ढांचे पर से ताला हटाने का आदेश दिया।

बाबरी मंदिर को किसने और कब गिराया था?

6 दिसंबर 1992: वीएचपी और शिवसेना समेत दूसरे हिंदू संगठनों के लाखों कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को गिरा दिया। देश भर में सांप्रदायिक दंगे भड़के गए, जिनमें 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए।

साल 2002: हिंदू कार्यकर्ताओं को लेकर जा रही ट्रेन में गोधरा में आग लगा दी गई, जिसमें 58 लोगों की मौत हो गई। इसकी वजह से गुजरात में हुए दंगे में 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए।

साल 2010: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित स्थल को सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा के बीच 3 बराबर-बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया।

साल 2011: सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई।

साल 2017: सुप्रीम कोर्ट ने आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट का आह्वान किया। बीजेपी के शीर्ष नेताओं पर आपराधिक साजिश के आरोप फिर से बहाल किए।

सुप्रीम कोर्ट की मध्यस्था बैंच की 8 सप्ताह की रिपोर्ट क्या थी?

8 मार्च 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा। पैनल को 8 सप्ताह के अंदर कार्यवाही खत्म करने को कहा।

1 अगस्त 2019: मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट प्रस्तुत की।

2 अगस्त 2019: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान निकालने में विफल रहा।

6 अगस्त 2019: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई शुरू हुई।

16 अक्टूबर 2019: अयोध्या मामले की सुनवाई पूरी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा।

9 नवंबर 2019: सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया। 2.77 एकड़ विवादित जमीन हिंदू पक्ष को मिली। मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन मुहैया कराने का आदेश।

25 मार्च 2020: तकरीबन 28 साल बाद रामलला टेंट से निकलर फाइबर के मंदिर में शिफ्ट हुए।

श्री राम मंदिर का भूमिपूजन

5 अगस्त 2020: राम मंदिर का भूमि पूजन कार्यक्रम। पीएम नरेंद्र मोदी, आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और साधु-संतों समेत 175 लोगों को न्योता दिया गया। अयोध्या पहुंचकर हनुमानगढ़ी में सबसे पहले पीएम मोदी ने किया दर्शन। राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल हुए। 

राम जन्मभूमि का फैसला कब हुआ?

9 नवंबर 2019: सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया।   

श्री राम मंदिर का भूमिपूजन कब हुआ था?|ram mandir opening

5 अगस्त को 2020 को भगवान श्री राम के मंदिर का भूमि पूजन किया गया।

राम मंदिर का इतिहास कितना पुराना है?

1528 से लेकर 2020 तक यानी 492 साल के इतिहास में कई मोड़ आए। कुछ मील के पत्थर भी पार किए गए।

श्री राम मंदिर कब तक बन जायेगा?

भगवान् श्री राम मंदिर अयोध्या का सम्पूर्ण निर्माण कार्य दिसम्बर 2025 में पूर्ण हो जायेगा। मंदिर का काम 3 चरण में हो रहा है पहला चरण दिसम्बर 2023 में, दूसरा चरण दिसम्बर 2024 में तथा तीसरा चरण दिसम्बर 2025 में पूर्ण हो जायेगा।

श्री राम मंदिर दर्शन करने के लिए कब शुरू होगा?

भगवान् श्री राम मंदिर निर्माण कार्य के पहले चरण दिसम्बर 2023 के बाद दर्शन करने के लिए शुरू हो जायेगा। लेकिन समूर्ण मंदिर का निर्माण कार्य दिसम्बर 2025 में पूर्ण होगा।

श्री राम मंदिर बनने के लिए कितना खर्चा होगा?

हमारे प्रभु श्री राम का अयोध्या में भव्य मंदिर बनाने में 1400 से 1800 करोड़ तक खर्चा आएगा।

राम मंदिर के लिए कितना चंदा आया है?

भगवान् श्री राम मंदिर निर्माण के 5000 करोड़ रुपये का चंदा आया है। प्रभु की कृपा से इतना चंदा आया है कि सम्पूर्ण मंदिर के निर्माण होने के बाद भी वहाँ के ट्रस्ट कहते में 3500 करोड़ रुपये जमा रहेंगे।

राम मंदिर पर स्वामित्व किसका है?

भगवान् श्री राम मंदिर की जगह पर श्री रामजन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट का स्वामित्व है।

राम मंदिर की जमीन कितनी है?

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से राम मंदिर निर्माण के लिए 68 एकड़ की जमीन स्वीकृत की थी लेकिन राममंदिर के ट्रस्ट शुभ अंक के लिए मंदिर का विस्तार 108 एकड़ में करने में लगे हुए है।

 श्री राम मंदिर निर्माण कार्य के कुछ फोटोज

श्री राम मंदिर सम्पूर्ण बनने के बाद ऐसा दिखेगा

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