ऐसा कौन सा मंदिर है जो दिन में दो बार गायब हो जाता है

श्री स्तंभेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास और रहस्य 

हमारे देश में अनेकों भगवान शिव के मंदिर है। देश के हर गांव,हर कोने में में भगवान शिव के मंदिर है। इसी कारण से भारत को शिवालयों का देश कहा जाता है। ये सभी शिवालय अनेकों रहस्यों से भरे हुए है। हर हिंदू भगवान शिव की सच्चे दिल से पूजा करते है।

भगवान शिव की पूजा शिवलिंग के रूप में होती है। आज तक आपने अनेकों शिव मंदिर देखे होंगे जहा शिवलिंग की लोग सच्चे दिल से पूजा करते है, लेकिन आज हम आपको ऐसे भगवान शिव स्तंभेश्वर महादेव के मंदिर के बारे में बताएंगे जो दिन में सिर्फ दो बार दर्शन देता है बाकी समय जलमग्न रहता है। 

कहाँ स्थित है? और कैसे जाये ?श्री स्तंभेश्वर महादेव मंदिर

 

गुजरात की राजधानी गांधीनगर से 175km दूर जंबूसर के कवि कंबोई गांव में स्थित है। गांधीनगर से आप लगभग 4 घंटे में गाड़ी की मदद से दिव्य मंदिर पहुंच सकते है।

अरब सागर तथा खंभात की खाड़ी से घिरा यह मंदिर लगभग 150 साल पुराना है। इस मंदिर की दिव्यता देखने के लिए सुबह से शाम तक रुकना पड़ता है क्योंकि भगवान शिव के दर्शन दो बार सुबह से शाम के बीच में होता है

बाकी समय यह मंदिर समुंद्र में गायब हो जाता है। आइए जानते है कि शिव मंदिर के दिन में सिर्फ दो बार दर्शन क्यों होते है?

श्री स्तंभेश्वर महादेव मंदिर के दिन में सिर्फ दो बार दर्शन देने की वजह क्या है?

 

वैसे तो समुंद्र में अनेकों तीर्थस्थल है लेकिन ऐसा कोई मंदिर नही है जो पानी में पूरी तरह डूब जाने के बाद दिन में दर्शन दे। लेकिन स्तंभेश्वर महादेव मंदिर एक ऐसा मंदिर है जो दिन में दो बार दर्शन देता है तथा बाकी समय में समुद्र में जलमग्न हो जाता है, इसी वजह से यह मंदिर अनोखा है।

ये भी पढ़े:

1.जाने रोज़ हनुमान चालीसा पढ़ने से क्या फायदे होते है?

2.

Dwarkadhish मंदिर का इतिहास?

3.

ujjain के महाकालेश्वर मंदिर का इतिहास और रहस्य?

4.

श्री राम जन्मभूमि मंदिर का संघर्षपूर्ण इतिहास?

5.Kedarnath धाम का इतिहास,रहस्य
6.Shri Nathji मंदिर से जुड़ी 10 रोचक बातें

इसका मुख्य कारण प्राकृतिक है, आमतौर पर पूरे दिन में समुंद्र के पानी का स्तर इतना बढ़ जाता है की मंदिर पानी में विलुप्त हो जाता है और फिर पानी का स्तर कम होने पर मंदिर दिखने लग जाता है। ऐसा सुबह शाम दिन में दो बार होता है। लोगों द्वारा इसे शिव का अभिषेक माना जाता है।

श्री स्तंभेश्वर महादेव मंदिर से जुड़ी धार्मिक कथा क्या है?

शिवपुराण में लिखी कथा के अनुसार ताड़कासुर नाम के राक्षस ने भगवान शिव को अपनी तपस्या से खुश करके शिव द्वारा मनचाहा वरदान प्राप्त किया। मनचाहा वरदान यह था कि उसको शिवपुत्र के अलावा कोई उसका वध नहीं कर सकता और साथ ही पुत्र की आयु 6 दिन की होनी चाहिए।

ऐसा वरदान मिलने के बाद राक्षस ने लोगों को मरना तथा उनको परेशान करना शुरू कर दिया। यह सब देखकर देवताओं ने भगवान शिव से उसके वध की प्रार्थना की। देवताओं की प्रार्थना सुन कर श्वेतपर्वत कुंड से 6दिन के कार्तिकेय ने जन्म लिया।

कार्तिकेय ने राक्षश का वध कर तो दिया, लेकिन जब उनको पता चला कि राक्षस भगवान शिव का भक्त है तो उनको बहुत दुख हुआ। इस दुख का प्रायश्चित करने के लिए भगवान विष्णु के कहने पर उन्होंने जहां राक्षस का वध किया वहा शिवलिंग की स्थापना की। फिर वही शिवलिंग स्तम्भेस्वर मंदिर के नाम से जाना जाने लगा। 

पानी में डूबने वाला मंदिर स्तंभेश्वर महादेव

अक्सर पानी में डूबने वाले अनगिनत मंदिर है लेकिन गुजरात का स्तंभेश्वर महादेव मंदिर ऐसा शिव मंदिर है जो दिन में २ बार पानी के बाहर आता है। 

 

    

 

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *