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केदारनाथ को ‘जागृत महादेव’ क्यों कहते हैं? हैरान करने वाला सच

केदारनाथ का स्थान उत्तराखंड राज्य में हिमालय की ऊँचाइयों में स्थित है, और यह गंगोत्री और यमुनोत्री के साथ चार धाम यात्रा का भी हिस्सा है, इसीलिए हिन्दू धर्म के लोग काफी समय पहले से इस पवित्र जगह पर जाते हैं।

केदारनाथ को ‘जागृत महादेव’ क्यों कहा जाता है?

केदारनाथ धाम को ‘जागृत महादेव’ कहा जाता है इसका प्रमाण देती हुई एक घटना है जो वहां जाने वाले एक भक्त के साथ हुई थी

केदारनाथ से जुडी हैरान करने वाली घटना:

एक समय एक शिव भक्त अपने घर बाबा केदारनाथ के दर्शन करने के लिए पैदल ही केदारनाथ यात्रा पर निकला था। इस दुर्गम पहाड़ी वाली और ऊंचाई पर होने के कारण पहले यहां जाने के लिए यातायात की सुविधा नहीं थी। इसीलिए शिव भक्त पैदल ही लोगों से मार्ग पूछते हुए और मन में भगवान का स्मरण करते हुए केदारनाथ यात्रा के लिए निकल गया। कई महीने चलने के बाद वो बाबा के धाम पहुंच गया।

केदारनाथ धाम के द्वार 6 महीने के लिए बंद होते है, और 6 महीने के लिए खुलते है। जिस समय वो मंदिर में पहुंचा उस समय प्रभु की अंतिम आरती के बाद मंदिर के कपाट बंद हो गए। उसने वहां के पुजारी से बड़ी मिन्नते की। कि वो बड़ी दूर कई महीनों का पैदल सफर कर प्रभु के दर्शन के लिए आया है मुझे एक बार प्रभु के दर्शन करने दे। लेकिन वहां के नियम है कि मंदिर के कपाट बंद होने के 6 महीने बाद वापस कपाट खोलते है।

यह भी पढ़े: मंदिर के कपाट खुलने का समय

शिव भक्त ने रोते हुए अपने प्रभु को याद किया कि प्रभु बस एक बार आपके दर्शन करा दो। उसने सभी से प्रार्थना की लेकिन नियम के विरुद्ध कोई नही गया और कपाट नही खोले।

मंदिर के पुजारी ने उसको समझाया कि 6 महीने बाद आना तब कपाट खुलेंगे। अब यहां 6 महीने भारी बर्फ गिरेगी और ठंड पड़ेगी। फिर सभी लोगों और पंडित जी वहां से चले गए। लेकिन वो वही अपने प्रभु के दर्शन की आस में रोते हुए प्रभु को याद करने लगा इतने में रात हो गई।

https://tirthdhamdarshan.com/why-kedarnath-called-jagrut-mahadev/उसको अपने प्रभु पर विश्वास था कि प्रभु अपनी कृपा करके दर्शन जरूर देंगे। उसको भूख और प्यास भी लग रही थी। इतने में उसको एक संन्यासी बाबा आते हुए दिखे। फिर वो संन्यासी बाबा उस भक्त के पास में गए और उसके पास में बैठ गए। 

संन्यासी बाबा ने उससे पूछा कि बेटा कहां से आए हो? तो उसने सारी घटना संन्यासी बाबा को बता दी। उसकी बाते सुनकर उनको उसपर दया आ गई और उन्होंने उसको खाना दिया और उससे बात करने लगे। बात करते करते बाबा ने उसको बोला कि कल मंदिर के कपाट जरूर खुलेंगे। तब तुम अपने प्रभु के दर्शन कर लेना। बाते करते हुए पता नही शिवभक्त को कब नींद आ गई।

जैसे ही सुबह की सूर्य की पहली किरण के साथ शिवभक्त की आंख खुली तो उसने सबसे पहले बाबा को ढूंढा लेकिन वो उसको कही नही दिखे। इससे पहले की वो कुछ सोचे उसको पंडित अपनी मंडली के साथ आते हुए दिखे। वो तुरंत पंडित जी के पास गया और उनसे पूछा की आपने तो बोला थी मंदिर के कपाट तो 6 महीने के बाद खुलेंगे लेकिन आप तो सुबह ही आ गए। पंडित ने उसको गौर से देखा और पूछा की तुम वही भक्त होना जो मंदिर के कपाट बंद करने के बाद मिले थे। और तुम 6 महीने होते ही वापस आ गए।

तब शिव भक्त आश्चर्यचकित हो गया और पंडित जी से बोला कि नहीं, मैं यहीं था और कहीं नहीं गया। कल ही आपसे मिलकर पंडित जी को ये बातें सुनकर आश्चर्य हुआ।

पंडित जी ने शिव भक्त से कहा कि मैं 6 महीने बाद आया हूं, तुम यहां 6 महीने पहले आए थे, तुम यहां 6 महीने तक जीवित कैसे रहे? पंडित जी और उनके समूह को आश्चर्य हुआ कि इतनी बर्फबारी और ठंड में कोई व्यक्ति 6 महीने तक कैसे जीवित रह सकता है।

तब उस भक्त ने पंडित जी को संन्यासी बाबा से मिलने वाली सारी बातें बता दी। उसने बताया कि संन्यासी बाबा लंबे थे, बढ़ी बढ़ी जटा के साथ ,हाथ में त्रिशूल लिए और एक हाथ में डमरू लिए हुए थे।

यह सुनकर पंडित जी और उनकी मंडली भक्त के चरणों में गिर गए। और उससे कहां की हमने तो अपनी जिंदगी लगा दी। किन्तु प्रभु के दर्शन नहीं हुए। लेकिन तुम सच्चे भक्त हो। इसीलिए प्रभु शिव ने तुम्हे साक्षात दर्शन दिए है। भगवान शिव ने ही 6 महीने के काल खंड को तुम्हारे लिए एक रात में बदल दिया। यह तुम्हारे प्रभु के प्रति सच्ची और पवित्र मन से की गई भक्ति के कारण ही हुआ है। आपकी भक्ति को प्रणाम करता हूं।

यह घटना कोई कहानी या कथा नहीं है। यह प्रत्यक्ष रूप से शिव भक्त के साथ में घटित हुआ है। इसके साथ साथ अनेकों घटना केदारनाथ धाम में घटित हुई है। इसीलिए केदारनाथ महादेव को जागृत महादेव के नाम से जाना जाता है।

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