श्रीनाथजी मंदिर से जुड़ी 10 रोचक बातें | Shri Nathji Mandir Nathdwara
यह खूबसूरत मंदिर उदयपुर से 45km दूर नाथद्वारा मे अरावली पर्वत की श्रृंखला में स्थित है। यह मंदिर वैष्णव धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थानों में सर्वोपरि माना जाता है। यहाँ पर भगवान श्री कृष्ण का बाल स्वरूप श्रीनाथजी के भव्य रूप में स्थित है। आइए बालरूप मे विराजे श्री कृष्ण भगवान के श्रीनाथजी मंदिर से जुड़ी 10 रोचक बातों को जानते है।
1. श्रीनाथजी मंदिर में 21 तोपो की सलामी
नाथद्वारा के श्रीनाथजी मंदिर में श्री कृष्ण भगवान बालरूप में पूजे जाते है, इसीलिए यहां कृष्ण जन्माष्टमी को बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण के जन्म के समय रात को 12 बजे भगवान को 21 तोपो की सलामी दी जाती है।
सुबह 4 बजे शंखनाद के साथ मंदिर में जन्माष्टमी के उत्सव के अलग अलग कार्यक्रम शुरू किए जाते है। फिर रात को 11.30 बजे मंदिर में दर्शन करने का बंद किया जाता है, फिर रात को 12 बजे भगवान के पट श्री कृष्ण के जय जयकारों के साथ खोल दिए जाते है और तब गाजे बाजे और जयकारों के साथ भगवान को 21 तोपों की सलामी दी जाती है और इसके साथ साथ मंदिर के मोती महल में बिगुल और बेंड भी बजाए जाते है।
2. श्रीनाथजी का विग्रह श्री कृष्ण भगवान का दूसरा रूप है
श्रीनाथजी के मंदिर में श्रीनाथजी का विग्रह भगवान श्री कृष्ण का दूसरा रूप है। मंदिर में श्रीनाथजी का विग्रह उसी अवस्था में है जिस प्रकार भगवान श्री कृष्ण ने बाल्यकाल में नगरवासियों को बचाने के लिए अपने बाएं हाथ को एक छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को ऊपर उठाया था।
भागवान श्रीनाथजी का विग्रह काले संगमरमर पत्थर का बना हुआ है। मंदिर में श्रीनाथजी के विग्रह के पास दो दो गाय, एक शेर, तोता और मोर के विग्रह भी दिखाई देते है और इनके साथ साथ तीन महान ऋषि मुनियों के विग्रह भी रखे हुए है।
3. श्रीनाथजी की दिन में 8 बार पूजा होती है
नाथद्वारा में स्थित श्रीनाथजी के मंदिर में भगवान की दिन में 8 बार पूजा की जाती है। वैष्णव संप्रदाय के लोग भगवान श्रीनाथजी को अपनी संप्रदाय का प्रमुख देवता मानते है। राजस्थान के वैष्णव संप्रदाय के अलावा, गुजरात और महाराष्ट्र के वैष्णव संप्रदाय के लोग श्रीनाथजी भगवान को अपना प्रमुख देवता मानते है।
वैष्णव संप्रदाय की स्थापना वल्लभाचार्य ने की थी, और उनके बेटे विठ्ठल नाथ जी ने भगवान श्रीनाथजी की निस्वार्थ भाव से भक्ति की थी और पूरे नाथद्वारा में श्रीनाथजी की भक्ति को चरम पर पहुंचाया था।.
4. औरंगजेब की माँ ने श्रीनाथजी की मूर्ति को सजाने के लिए हीरा दिया
भगवान श्रीनाथजी के होठों के नीचे एक हीरा लगा हुआ है माना जाता है कि यह हीरा औरंगजेब की मां ने भगवान के चमत्कार को देखकर उनके श्रृंगार के लिए भेंट किया था।
बात उस समय की है जब औरंगजेब श्रीनाथजी के मंदिर को तोड़ने आया था जब मंदिर तोड़ने के लिए मंदिर की सीढ़ियों पर चढ़ने लगा तो वो जैसे जैसे सीढ़ी चढ़ रहा था वैसे वैसे उसके आंखों की रोशनी कम हो रही थी। जैसे ही उसको आभाष हुआ कि वो पाप कर रहा है तो उसने भगवान से अपने कर्मो की क्षमा मांगी।
जिससे उसके आंखों की रोशनी एकदम पहले जैसे हो गई तो वो अपनी सेना लेकर वापस आ गया और अपनी माता को यह बात बताई तो उनकी माता ने खुशी में भगवान के श्रृंगार के लिए हीरा भेट दे दिया।
5. श्रीनाथजी के मंदिर से संबंधित समस्त संपत्ति पर श्रीनाथजी मंदिर का अधिकार होगा
उदयपुर के राजा ने 1934 में आदेश दिया कि मंदिर से संबंधित और उससे जुड़ी सभी चीजों पर सम्पूर्ण रूप से श्रीनाथजी मंदिर का अधिकार रहेगा। उस समय मंदिर के पुजारी तिलकायत महाराज को मंदिर का सरंक्षक और ट्रस्टी नियुक्त कर दिया था।
6. नाथद्वारा को पिछवई कला का प्रमुख केंद्र भी माना जाता है
नाथद्वारा के कारीगर पिछवई कला में निपुण होते है। कपड़े, कागज और दीवारों पर रंगों का उपयोग करके पेंटिंग बनाने की कला को पिछवई कला के नाम से जाना जाता है।
श्रीनाथजी के मंदिर में पिछवई कला से जुड़े हुए बहुत सारे चित्र बने हुए है। इन सभी चित्र को श्नाथद्वारा के कारीगरों ने बनाया है। इसीलिए नाथद्वारा को पिछवई कला का प्रमुख केंद्र माना जाता है।
7. भगवान को 56 प्रकार के भोग दिए जाते है
श्रीनाथ के मंदिर में भगवान को हर दिन 56 प्रकार के भोग अलग अलग समय पर लगाए जाते है। भगवान के भोग में डाले जाने वाली कस्तूरी को जिस चक्की में पिसा जाता है वो चक्की सोने से बनी हुई है।
8. श्रीनाथजी मंदिर अमीर मंदिरों की सूची में अपना प्रमुख स्थान है
हमारे भारत देश में कही हिंदू मंदिर ऐसे जहा हर साल करोड़ों रुपियो और सोने चांदी का दान आता है। अमीर मंदिरों में साई बाबा मंदिर, सिद्धि विनायक मंदिर, विश्वनाथ मंदिर और तिरुपति बालाजी जैसे मंदिरों की श्रेणी में श्रीनाथजी का मंदिर भी शामिल है।
9. मंदिर में छोटे बच्चों के खेलने की चीजे चढ़ाई जाती है
नाथद्वारा के मंदिर में भगवान श्रीनाथजी कृष्ण के बाल रूप में पूजे जाते है। इसीलिए यहां आने वाले भक्त भगवान के खेलने के लिए छोटे बच्चों के खिलौने चढ़ाते है। कुछ भक्त चांदी से बनी हुई गाय चराने की लाठी चढ़ाते है तो कुछ भक्त चांदी की गाय भगवान को चढ़ाते है।
10. श्रीनाथजी को यात्रा से विशेष फल मिलता है
अगर कोई भक्त भारत के चारों कोनों में स्थित श्रीरंगनाथ, द्वारकानाथ और बद्रीनाथ के साथ श्रीनाथजी का दर्शन नहीं करता है तो उसे यात्रा का पूरा फल नहीं मिलता है। इसीलिए इन मंदिरों के साथ साथ श्रीनाथजी के मंदिर का दर्शन भी करना जरूरी है।