बद्रीनाथ में घूमने की 10 बेहतरीन जगहें ! Best Places in Badrinath
बद्रीनाथ मंदिर उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु के रूप बद्रीनाथ को समर्पित है। यह हिंदुओं के चार धामों में से एक है। यह ऋषिकेश से उत्तर दिशा में 294 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बद्रीनाथ धाम के आसपास कई पवित्र और धार्मिक सुंदर स्थान हैं जहां पर्यटकों को अवश्य जाना चाहिए।
आइए आपको बद्रीनाथधाम में घूमने लायक अन्य जगहों के बारे में बताते हैं।
1. चरणपादुका(Charanpaduka)
बद्रीनाथ मंदिर से 3km की दूरी एक चट्टान है जिस पर भगवान विष्णु के पैरो के निशान देखने को मिलते है इस चट्टान को विष्णु चरणपादुका नाम से जाना जाता है इसकी समुन्द्र तल से ऊंचाई 3380 फीट है
पोरनिक कथाओ मे बताया गया है कि भगवान विष्णु जब अपने निवास स्थान बेकुंठ से से नीचे बद्रीनाथ धाम मे उतरे तब सबसे पहले उनके दिव्य पैर इस चट्टान पर पड़े थे जिसके निशान आज भी चट्टान पर दिखाई देते है इसी वजह से भगवान विष्णु के पैरो के दर्शन के लिए भक्त बद्रीनाथ के साथ साथ यहाँ भी आते है
भगवान विष्णु के पैरो के निशान के अलावा यहाँ तक पाहुचने के लिए ट्रैकिंग करके जाना पड़ता है यहा कि ट्रैकिंग ट्रैकिंग बहुत ही लोकप्रिय है
2. नारद कुंडी (Narad Kund)
नारद कुंड बद्रीनाथ धाम में स्थित है। यह बद्रीनाथ के आसपास के पर्यटक स्थलों में प्रमुख स्थान रखता है।नारद कुंड की सबसे प्रमुख बात यह है कि इस कुंड में किसी भी मौसम में चाहे सर्दी हो या बर्फबारी हो रही हो रही हो फिर भी हमेशा गरम पानी में ही आता है।
बद्रीनाथ भगवान के दर्शन करने के लिए यही से गुजरना पड़ता है और दर्शन करने से पहले इस कुंड ने हर भक्त को डुबकी लगानी पड़ती है। नारद कुंड में डुबकी लगाने से जुड़ी मान्यता यह है कि इस कुंड के गरम पानी में डुबकी लगाने से मनुष्य को आध्यात्मिकता शुद्धि की प्राप्ति होती है।
3 ब्रह्म कपाल घाट(Brahma Kapal Ghat)
बद्रीनाथ धाम में अलकनंदा नदी के तट पर ब्रह्म कपाल घाट स्थित है। यह घाट भगवान के मंदिर के पास में ही स्थित है। इस घाट पर देश के कोने कोने से आने वाले भक्त अपने पूर्वजों की आत्मा को नरक से मुक्त करने के लिए पिंड दान करते है और इसी स्थान पर अपने पूर्वजों का श्राद्ध भी करते है। यह घाट बद्रीनाथ धाम से महज 100 मीटर की दूरी पर स्थित है।
पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि भगवान शिव के त्रिशूल से भगवान ब्रह्मा का कपाल यही गिरा था इसलिए इस जगह का ब्रह्मकपाल रखा गया।
4. व्यास गुफा(Vyas Gufa)
यह पवित्र गुफा उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा गांव में सरस्वती नदी के किनारे पर स्थित है। यह गुफा बहुत ही प्राचीन है। यह गुफा जिस माणा गांव में है वो भारत और चीन की सीमा पर भारत का आखिरी गांव है। इस गांव के बाद चीन की सीमा शुरू होती है। इसी गुफा में बैठ कर महर्षि व्यास ने भगवान गणेश की मदद से महाभारत की रचना की थी।
5. भीम पुल(Bhim Pul)
इस पुल से जुड़ी एक कथा यह है कि पांडवो को स्वर्ग में जाने के लिए बद्रीनाथ मंदिर के पास सरस्वती नदी पार करनी पड़ी थी लेकिन द्रोपदी नदी पार नहीं कर पा रही थी इसलिए भीम ने एक बड़ी चट्टान को सरस्वती नदी में इस तरह से रखा कि वो पुल की तरह काम करने लगी। इस चट्टान से द्रौपदी ने सरस्वती नदी को पार किया था और इस चट्टान को भीम ने रखा था इसीलिए इस पुल को भीम पुल कहा जाता है।
भीम पुल से सरस्वती और अलकनंदा नदी के संगम के मनोरम दृश्य को देख सकते है साथ ही यहां से एक दुकान दिखती है जिसको भारतीय सीमा की आखिरी दुकान कहा जाता है।
6. जोशीमठ(Joshimath)
जोशीमठ बद्रीनाथ धाम से 42km की दूरी पर स्थित है। जोशीमठ को आदिगुरु श्री शंकराचार्य ने आठवी शताब्दी में स्थापित किया था। यह आदिगुरु के चार मठों में से एक मठ है।
जोशीमठ को सभी तीर्थों का प्रवेशद्वार कहां जाता है। जोशीमठ में भगवान नरसिंह और भविष्यबद्री का मंदिर है। बर्फबारी शुरू होते ही भगवान बद्रीनाथ के कपाट 6 महीने के लिए बंद कर दिए जाते है तब भगवान की एक मूर्ति को जोशीमठ में नरसिंह भगवान के मंदिर में रख दी जाती है और इसी मंदिर में भगवान की मूर्ति की नियमित रूप से 6 महीने तक पूजा होती है।
7. वसुंधरा वाटरफाल(Vasundhara Waterfall)
वसुधरा वॉटरफाल समुंद्र तल से लगभग 12,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां पर एक रहस्यमई और पवित्र झरना बहता है जो 400 फीट की ऊंचाई से नीचे बहता है।
क्या वसुंधरा झरना का पानी पापी इंसान से दूर ही जाता है?
इस पवित्र झरने की खास बात यह है कि वसुंधरा का पानी पापी और खराब नियत वाले इंसान से दूर हो जाता है। वसुधरा झरना गिरते वक्त दूध जैसा एकदम सफेद दिखता है।
वसुधरा वाटरफाल तक कैसे पहुंचे?
यहां तक पहुंचने के लिए माणा गांव से 6km की ट्रैकिंग करके जाया जाता है। पहले 3km तक की ट्रैकिंग ti आसान होती है लेकिन जब आप भीमपुल अर्थात सरस्वती नदी पार करके आगे जाते हो तो आगे की ट्रैकिंग बहुत कठिन होती है।
लेकिन ट्रैकिंग करते समय घाटी का सुंदर दृश्य,मनोरम वातावरण और ऊंचे पहाड़ों से गिरते हुए झरने आपकी थकान को मिटा देते है। मार्च से जून के बीच में यहां यात्रा करनी चाहिए।
8. पांडुकेश्वर तीर्थ स्थल(Pandukeshwar Palace)
पांडुकेश्वर मंदिर की ऊंचाई 6000 फीट है। ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र तीर्थ स्थान पर पांडवो के पिता राजा पांडु ने भगवान शिव की पूजा की थी।पांडुकेश्वर तीर्थ स्थल में योग ध्यान बद्री और भगवान वासुदेव मंदिर है। यह दोनो मंदिर बद्रीनाथ धाम के लोकप्रिय मंदिर है।
9. शेषनेत्र (Sheshnetra)
यह पवित्र स्थान बद्रीनाथ बस स्टैंड से 1km की दूरी पर स्थित है। यह पवित्र स्थल अलकनंदा नदी के दूसरी तरफ किनारे पर स्थित है। बद्रीनाथ धाम के पुजारी पंडित भुवन चंद्र उनियाल ने बताया कि नर पर्वत पर शेषनेत्र झील के ऊपरी हिस्से में एक चट्टान पर आंखों की दो आकृतियां बनी हैं। इन आंखों को शेषनाग की आंखें कहा जाता है, जिससे भगवान विष्णु अपने सबसे प्रिय भक्त नारद को देखते हैं।
10. विष्णुप्रयाग(Vishnuprayag)
विष्णु भगवान को समर्पित तीर्थ स्थल विष्णुप्रयाग बद्रीनाथ मंदिर से 32km दूर उत्तराखंड के चमोली जिले में पवित्र नदी अलकनंदा नदी और धोलीगंगा नदी के संगम पर स्थित है। इस पवित्र तीर्थ स्थल पर भगवान विष्णु अपने भक्त नारद को दर्शन देने के लिए प्रकट हुए थे।