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जगन्नाथ मंदिर के ध्वज से जुडी रहस्य्मयी बातें | Jagannath Temple Dhwaj

जगन्नाथ मंदिर का 20 फीट का त्रिकोणाकार झंडा प्रतिदिन बदला जाता है। इसे बदलने का दायित्व चोल परिवार के पास है और चोल परिवार इस परंपरा और दायित्व को करीब 800 सालों से पूरी निष्ठा के साथ पूरा कर रहा है।

जगन्नाथ मंदिर के ध्वज से जुडी रहस्य्मयी बातें 

मंदिर से जुड़ी ऐसी पौराणिक मान्यता है कि जिस दिन झंडा या ध्वज नही बदला गया। उस दिन से भगवान जगन्नाथ का मंदिर 18 साल के लिए स्वत ही बंद हो जायेगा। मंदिर का ध्वज कई मिलों दूर से ही आपको दिखाई देता है।

भगवान् जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर ध्वज के पास एक सुदर्शन चक्र स्थापित है। इस सुदर्शन चक्र की खास बात यह है कि आप इसे किसी भी दिशा से देखें, तब भी आपको ऐसा प्रतीत होगा कि सुदर्शन चक्र का मुख आपकी ओर ही है।

जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर प्रतिदिन क्यों बदला जाता है ध्वज?

भगवान जगन्नाथ का मंदिर भारत के उड़ीसा राज्य में स्थित है। मंदिर के शिखर पर स्थित ध्वज को प्रतिदिन बदला जाता है। मंदिर के ध्वज की लंबाई 20 फीट की होती है। मंदिर में ध्वज को बदलना एक तरह से पूजा का भाग माना जाता है। मंदिर के ध्वज से जुड़ी कहीं पौराणिक कथा जुड़ी है। 

भगवान जगन्नाथ मंदिर में झंडा या ध्वज बदलने का सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि नियमत रूप से ध्वज बदलने के साथ साथ भगवान जगन्नाथ के आगमन की घोषणा होती है। झंडे से जुड़ी पौराणिक मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों को अपनी उपस्थिति की उदघोसना करने के लिए ध्वज बदलने का निर्देश देते है।

मंदिर में ध्वज को बदलना पुजारियों द्वारा किया जाने वाले अनुष्ठानिक कार्यों में शामिल किया हुआ है। ध्वज को मंदिर के शिखर पर लगाना कठिन कार्य होता है। मंदिर पर ध्वज लगाने की परम्परा चोल वंश के द्वारा 800 सालों से निभाई जा रही है।

जगन्नाथ मंदिर का झंडा या ध्वज बदलने का क्या समय है?

जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर स्थित ध्वज को प्रतिदिन बदला जाता है। जगन्नाथ मंदिर में ध्वज बदलने का समय ऋतुओं के अनुसार तय होता है। सर्दी के मौसम में सूरज जल्दी डूब जाता है इसलिए शाम 5 बजे ध्वज बदला जाता है और गर्मी के मौसम में शाम 6 बजे ध्वज बदला जाता है।इसे भगवान जगन्नाथ की पूजा का एक हिस्सा माना जाता है।

जगन्नाथ मंदिर का ध्वज हर दिन क्यों बदला जाता है?

मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक मान्यता है कि जिस दिन यहां ध्वज नहीं बदला जाता है। उस दिन से भगवान जगन्नाथ का मंदिर स्वतः ही 18 वर्षों के लिए बंद हो जायेगा। इसीलिए मंदिर का ध्वज हर दिन बदला जाता है मंदिर का ध्वज कई मील दूर से दिखाई देता है।

जगन्नाथ मंदिर पर ध्वज कौन लगाता है?

जगन्नाथ मंदिर का 20 फीट का त्रिकोणाकार ध्वज प्रतिदिन बदला जाता है। इसे बदलने का दायित्व चोल परिवार के पास है और चोल परिवार इस परंपरा और दायित्व को करीब 800 सालों से पूरी निष्ठा के साथ पूरा कर रहा है।

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सर्दी के मौसम में सूरज जल्दी डूब जाता है इसलिए शाम 5 बजे झंडा बदला जाता है और गर्मी के मौसम में शाम 6 बजे झंडा बदला जाता है।इसे भगवान जगन्नाथ की पूजा का एक हिस्सा माना जाता है।

जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर स्थित सुदर्शन चक्र की क्या खास बात है?

भगवान् जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर ध्वज के पास एक सुदर्शन चक्र स्थापित है। इस सुदर्शन चक्र की खास बात यह है कि आप इसे किसी भी दिशा से देखें, तब भी आपको ऐसा प्रतीत होगा कि सुदर्शन चक्र का मुख आपकी ओर ही है।

भगवान जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर ध्वज चढाने की क्या विधि है?

इस मंदिर का झंडा बदलने के लिए एक पुजारी जंजीरों के सहारे मंदिर की 45 मंजिला चोटी पर चढ़ता है। इससे पहले वह नीचे आग जलाता है और धीरे-धीरे मंदिर के गुंबद तक पहुंचता है और पुराने झंडे को हटाकर नया झंडा स्थापित करता है। इस झंडे को मौसम कोई भी हो, बदलने की परंपरा है, जिसे हर दिन बदलना पड़ता है।

इसलिए, जगन्नाथ मंदिर में प्रतिदिन झंडा बदलना एक महत्वपूर्ण और पौराणिक प्रथा है जो भव्य मंदिर के सामाजिक और आध्यात्मिक वातावरण को सुदृढ़ करती है।

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