Pradosh Vrat- प्रदोष व्रत करने के लाभ
प्रति माह की दोनो त्रयोदशी तिथि को प्रदोष का व्रत किया जाता है। जिस दिन प्रदोष का व्रत रखा जाता है उसका फल उस दिन के अनुसार अलग अलग मिलता है।
हमारे हिन्दू शास्त्रों में सोमवार का प्रदोष व्रत, मंगलवार का प्रदोष व्रत या अन्य दिन जो त्रयोदशी के दिन आता है उनके फल अलग अलग होते है।
प्रदोष व्रत के लाभ :
रविवार: प्रदोष का व्रत जो रविवार के दिन पड़ता है उसे रवि प्रदोष या भानुप्रदोष कहा जाता है। इस दिन नियम पूर्वक व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सुख और शांति आती है और व्यक्ति का जीवन काल बढ़ता है। रवि प्रदोष सीधा सूर्य से संबंध होता है जिससे व्यक्ति के जीवन में चंद्रमा के साथ साथ सूर्य भी सक्रिय रहता है। जीवन ने सूर्य के सक्रिय रहने से व्रत करने वाले को यश और सम्मान भी मिलता है। रवि प्रदोष व्रत करने से सूर्य संबंधी सभी परेशानियां दूर हो जायेगी।
सोमवार : प्रदोष का व्रत जो सोमवार के दिन पड़ता है उसे सोम प्रदोष कहा जाता है। इस दिन नियम पूर्वक व्रत करने से व्यक्ति को इच्छा अनुसार फल प्राप्ति होती है। अगर किसी का चंद्र सही नही है तो उसको यह व्रत नियम पूर्वक करना चाहिए। जिससे उसका चंद्र सही हो जाए और उसके जीवन में शांति बनी रहें। जिन लोगों को संतानप्राप्ति में समस्याएं हो रही है वो भी सोम प्रदोष का व्रत करके संतान प्राप्ति कर सकते है।
मंगलवार : प्रदोष का व्रत जो मंगलवार के दिन पड़ता है उसे भोम प्रदोष कहा जाता है। भोमप्रदोष व्रत करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है और बीमारियों से मुक्ति मिलती है। साथ ही कर्ज से छुटकारा पाने के लिए इस व्रत को नियमपूर्वक करना चाहिए।
बुधवार : प्रदोष का व्रत जो बुधवार के दिन पड़ता है उसे सौम्यवारा प्रदोष कहा जाता है। यह व्रत शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में उन्नति पाने के लिए किया जाता है।इस व्रत से इष्ट देव की प्राप्ति और उनका आशीर्वाद मिलता है। यह व्रत करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
गुरुवार : प्रदोष का व्रत जो गुरुवार के दिन पड़ता है उसे गुरुवारा प्रदोष कहा जाता है। इस व्रत से व्यक्ति का बृहस्पति ग्रह अच्छा प्रभाव तो देता ही है साथ ही इसे करने से पितर खुश होते है और आशीर्वाद भी देते है। यह व्रत दुश्मन के नाश और उन पर विजय प्राप्ति के लिए किया जाता है।
शुक्रवार : प्रदोष का व्रत जो शुक्रवार के दिन पड़ता है उसे भ्रुगुवारा प्रदोष कहा जाता है। इस व्रत से व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य की प्राप्ति होती है साथ ही साथ धन और वैभव की भी प्राप्ति होती है। यह व्रत नियमपूर्वक करने से सफलता मिलती है।
शनिवार : प्रदोष का व्रत जो शनिवार के दिन पड़ता है उसे शनिप्रदोष कहा जाता है। इस प्रदोष का व्रत नियमपूर्वक करने से पुत्र योग की प्राप्ति होती है। अक्सर लोग इसे हर तरह की मनोकामना के लिए और नौकरी में पदोन्नति की प्राप्ति के लिए करते हैं।