ताले वाली देवी मां- इस मंदिर में खुलता है किस्मत का ताला
कानपुर शहर के मोहाल में स्थित मां काली का मंदिर 300 साल पुराना है। इस मंदिर के खास बात यह है कि मंदिर में भक्त अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करवाने के लिए माता को बंद ताला चढ़ाते है, फिर मनोकामनाएं पूर्ण होने पर भक्त मंदिर पर आकर वापस ताला खोल देते है। यह मंदिर माता काली मां को समर्पित है।
मंदिर लगभग 300 साल पुराना है और मंदिर में स्थित मूर्ति कहां से आई थी और किसने लाई थी इस बात का पता आज तक किसीको भी नहीं चल पाया है। इस मंदिर में भक्त पीढ़ी दर पीढ़ी दर्शन के लिए आते है। और मनोकामना पूरी होने पर ताला खोलकर ले जाते है। नवरात्रि के मौके पर मंदिर में सामान्य से अधिक भीड़ रहती है।
हर नवरात्रि में हजारों भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर ताले खोलकर ले जाते है
मां काली मंदिर में हर नवरात्रि में हजारों ताले चढ़ाए जाते है और हजारों ताले खोलकर ले जाते है। माना जाता है कि जितने ताले खोले जाते है उतने भक्तों की मनोकामना मां ने पूर्ण कर दी है। मां काली का यही मंदिर बहुत ही चमत्कारिक और काफी पुराना है। इस मंदिर की स्थापना किसने की इसका पता किसी को भी नही है।
ताला नहीं मिलने पर क्या किया जाता है?
मंदिर में मनोकामना मांगने के साथ ही ताले का बंद करके चाभी को अपने साथ लेके जाना होता है। मनोकामना पूर्ण होने पर ताला आकर खोलना पड़ता है लेकिन कही बार भक्तों को ताला नहीं मिलता है तो भक्त अपने ताले की चाभी मां काली के चरणों में रख देते है। इस मंदिर में मां से सच्चे मन से मांगी गई सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
मां काली मंदिर की स्थापना का रहस्य-
300 साल पुराने इस मंदिर का सबसे बड़ा रहस्य यह है कि मंदिर की स्थापना किसने की। मंदिर में स्थित मूर्ति कहां से लाई और किसने लाई इसका पता भी आज तक नही लगा है।
ताला चढ़ाने की परंपरा कैसे शुरू हुई-
कई वर्षो पहले एक महिला रोज मंदिर पूजा दर्शन के लिए आती थी वो बहुत परेशान थी। एक दिन वो मंदिर के परिसर में ताला लगाने लगी तो उस समय मंदिर के पुजारी ने उसको इसके बारे में पूछा तो उसने बताया कि रात को मां ने सपने में आकर कहा कि मंदिर के प्रांगण में एक ताला लगाकर बंद कर दे इससे उसकी सभी मन की इच्छा पूर्ण हो जायेगी। पुजारी बताते है कि ताला लगाने के बाद वो महिला फिर कभी नहीं दिखी। तब से यह परंपरा शुरू हो गई।